संपादकीय

तीन तलाक पर अब कोई असमंजस नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय इसे खारिज करते हुए असंवैधानिक, अवैध, अमानवीय करार दे चुका है, लिहाजा अब वह भारत का कानून है। संसद में नया संशोधन पारित करने की जरूरत नहीं है और न ही अधिसूचना के हम मोहताज हैं। मुसलमानों के शरीयत की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि

सोलन  मंडी में हुई डिजीटल पेमेंट का आंकड़ा इतना प्रभावशाली रहा कि देश का रिकार्ड बन गया। पर्वतीय प्रदेश  के किसान-बागबान की खुशहाली का चित्रण इसलिए भी रोचक हो जाता है, क्योंकि राष्ट्रीय आंकड़े सम्मान करते हैं। ऑनलाइन पेमेंट में सोलन मंडी के तहत लाभान्वित हुए वर्ग की क्षमता और प्रबंधन की दृष्टि से अर्जित

कांगड़ा जिला के खुंडियां में एक स्कूली बच्ची की बस ने बेरहम हत्या कर डाली। न तो चालक अंधा था और न ही वाहन के कलपुर्जे नाकाबिल थे, लेकिन सड़क का उन्मादी फितूर आठ साल की बच्ची को लील गया। अंततः एक चीख हमारे सामने उभरी और खून से लथपथ लाश सारी परिवहन व्यवस्था की

गुजरात के उफान भरे माहौल में राहुल गांधी को होश आया है कि देश के प्रधानमंत्री की क्या गरिमा होती है, क्या सम्मान दिया जाना चाहिए। यह राहुल गांधी का पश्चाताप है, सद्बुद्धि है या चुनाव न हारने की राजनीति! उन्होंने कांग्रेस नेताओं और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं कि एक सीमा के

हमीरपुर में हालांकि चुनाव ने सभी को बुत बना दिया है, लेकिन मुख्य चौक पर गांधी की प्रतिमा पर हुआ प्रहार चीख-चीख कर खुद को रेखांकित कर रहा है। अभिशप्त मानसिकता से ग्रस्त असामाजिक तत्त्व अगर बार-बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को खंडित करने की जुर्रत करते हैं, तो यह प्रहार पूरे प्रदेश की

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री, लोकसभा सांसद एवं नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डा. फारूख अब्दुल्ला ने एक बार फिर विवादास्पद बयान देकर आजाद कश्मीर, पीओके को पाकिस्तान का हिस्सा माना है। पीओके पर किसी भी तरह की चर्चा और बातचीत को भी उन्होंने गलत करार दिया है। फारूख का कहना है कि पीओके पर हिंदोस्तान किसी

हिमाचल में सियासी अवकाश शुरू हुआ और जब तक चुनाव परिणाम हाजिर नहीं होता, सभी मंच अनुपस्थित रहेंगे। लंबे दौर की आतुर कहानी, न मुंह में जुबान न आलोचना की खैनी। ये उनतालीस दिन किस खाते के। सरकार अब नाम की मौजूदगी में और राज्य सिर्फ एक तस्वीर की तरह फ्रेम में सजा रहेगा। इस

कश्मीर में केंद्र सरकार के वार्ताकार एवं पूर्व आईबी प्रमुख दिनेश्वर शर्मा हुर्रियत नेताओं से भी बातचीत के पक्षधर हैं, लेकिन हुर्रियत में मीरवाइज उमर फारूक, सैयद अली शाह गिलानी, यासीन मलिक सरीखे बड़े नेताओं ने बातचीत से इनकार कर दिया है। उनका सवाल है कि वार्ताकार के अख्तियार क्या हैं कि उनसे बातचीत की

लोकतंत्र के प्रतिष्ठित अध्यायों को पुनः परिमार्जित करते हिमाचली मतदाता ने देश की सुशासित धमनियों का संचालन किया। ताबड़तोड़ मतदान की रफ्तार ने पुनः जागरूकता का परचम फहराया और जहां कानून-व्यवस्था भी मुस्कराती रही। देश के पहले मतदाता श्याम शरण नेगी के कदम जब चुनाव आयोग के लाल कालीन पर चले, तो लोकतांत्रिक मर्यादा का