विचार

हिमाचल के भाईचारे को अब तक कोई खतरा राजनीति से नजर नहीं आता था, लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव प्रचार और रैलियों में प्रमुख राजनीतिक दलों कांग्रेस और भाजपा के एक-दूसरे पर जो आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं, उन्हें देखकर लगता है कि हमारे प्रदेश में भी कहीं वैसे हालात न बन जाएं जैसे कि देश के दूसरे कुछ राज्यों में बनते हैं। धर्म और जातिवाद की राजनीति

साधो! चुनावों का शोर है। कलियुग घनघोर है। हो सकता है कि चुनावी मौसम होने के बाद भी आप मुझसे कहें कि हमने रसीदी टिकट तो देखा है, लेकिन चुनावी टिकट कभी नहीं देखा। तो मैं आपको बता दूँ कि बिना रसीद के चुनावी टिकट भी नहीं मिलता। रसीद पैसे की भी हो सकती है और ईमान बेचने की भी। यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि आप किस राजनीतिक दल का चुनावी टिकट किस तरह हासिल करते हैं। एक कहावत है कि राजनीति लुच्चों का खेल है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप लुच्चे होना चाहते हैं या नहीं। जो राजनीतिक दल भूखे-नंगे हो चुके हैं या कर दिए गए हैं, उनके कुछ राजनेताओं को

चुनाव में हिमाचली चरित्र फिर फंसा- फिर धंसा नजर आ रहा है, तो इसकी वजह छोटे राज्य की तासीर में पार्टियों के नेतृत्व में आ रहा खोट है। इस बार चरित्र का नया जाल बुनकर राजनीति कुछ गुनाह कर चुकी है और कई चुनावों की ओट में चल रहे हैं। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच भी संगठन की चारित्रिक पृष्ठभूमि का अंतर स्पष्ट है। बेशक भाजपा के हाथ कांग्रेस के खून से रंगे देखे जा सकते हैं, लेकिन जब घा

चैत्र नवरात्र मंगलवार से शुरू हो रहे हैं। इन नौ दिनों में माता दुर्गा को प्रसन्न करने और मनचाही मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए लोग व्रत भी रखते हैं। हमारा देश देवभूमि है। यहां लगभग प्रतिदिन परमात्मा के साथ जुडऩे के लिए कोई न कोई पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं। आजकल हमारे देश में नवरात्र का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है।

11 नवंबर 1849 ईस्वी को वजीर राम सिंह पठानिया सिर्फ 24 साल के थे, जब वह अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए लड़ते हुए बलिदान हो गए। उनकी जयंती पर देश उन्हें नमन करता है...

अन्य राज्यों में भी शराब पर उच्च उत्पाद शुल्क लगाया जाता है और इसका उद्देश्य कभी भी बड़ा राजस्व कमाना नहीं होता। बहरहाल यह ठीक नहीं कि केजरीवाल राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हैं...

चूंकि आम चुनाव का मौसम उफान पर है, लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी देश को जो गारंटी दे रहे हैं, वह यह है कि उनके तीसरे कार्यकाल के दौरान भारत विश्व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा। प्रधानमंत्री देश को आश्वस्त कर रहे हैं कि 2047 में ‘विकसित भारत’ का संकल्प पूरा करने को वह 24 घंटे, सातों दिन काम में जुटे रहते हैं। फिलहाल भारत अमरीका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अमरीका की अर्थव्यवस्था 25 ट्रिलियन डॉलर से अधिक और चीन

हमें यह ध्यान रखना होगा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित देश बनाने के लिए सरकार के द्वारा आम आदमी की प्रति व्यक्ति आय और खुशहाली बढ़ाने के लिए जो व्यय किए जाते हैं, वे उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जिस तरह सरकार के द्वारा बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश लाभप्रद होता है। उम्मीद है सरकार रणनीतिक रूप से कारगर प्रयासों की राह पर आगे बढ़ेगी..

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव की तारीखें निकट आती जा रही हैं, वैसे-वैसे सभी राजनीतिक गठबंधनों के बीच का अंदरूनी कलह बंद कमरे से बाहर निकल कर सडक़ों पर आता जा रहा है। महाराष्ट्र में 2019 के मुकाबले एकदम नई तरह की परिस्थितियां सामने आ गई