नीतीश धीमान, जवाली अवैध निर्माण ने एक बार फिर प्रशासन की नाकामी का परिचय दे दिया है। ग्रेटर नोएडा में अवैध छह मंजिला इमारत का चार मंजिला पर ढह जाना विकास प्राधिकरण के दावों की पोल खोलता है। न जाने कितने मासूम इस अवैध निर्माण की बलि चढ़ गए हैं। लोगों का कहना है कि
लक्की, रोहड़ू, शिमला आधुनिकता के इस दौर में नई तकनीकें विकसित की जा रही हैं। आज का समाज आधुनिक युवाओं का समाज है। इस सभ्य समाज में आज का युवा नशे के जंजाल में इस तरह फंस चुका है कि चाहकर भी इस दलदल से बाहर नहीं निकल पा रहा है। अगर हमारे देश का
कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालयन नीति अभियान इसलिए बेहतर यह होगा कि लोगों को समय-समय पर रोजगार देने और जरूरी काम निपटाने वाली विशेष व्यवस्था बनाई जाए। भले ही इसके लिए अलग कानून बनाना पड़े और ऐसी स्वयंसेवी भर्तियों पर 240 दिन में वर्कचार्ज करने की कानूनी बाध्यता को समाप्त करना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह
डा. अश्विनी महाजन एसोसिएट प्रोफेसर, पीजीडीएवी कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय अभी तक का अनुभव है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने के आश्वासन से किसान ज्यादा मेहनत से काम करता है और ज्यादा उत्पादन करता है। ऐसे में बाजार में कृषि वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ती है और ज्यादा उपलब्धता होने के कारण भविष्य में कृषि वस्तुओं की कीमतें
विकास की मंजिलें शिमला में कितनी गुनहगार हो चुकी हैं, इसका अर्थ हम एनजीटी के ताजा फैसले की कड़क भाषा से जान सकते हैं। एनजीटी ने ऊंची इमारतों की ठिगनी हो चुकी करतूतों का हिसाब करते हुए सरकार की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया, यानी अब शिमला में निर्माण की ऊंचाई अढ़ाई मंजिल के
प्रधानमंत्री मोदी की मिदनापुर रैली में पंडाल गिरना और 13 महिलाओं समेत 67 लोगों का घायल होना, यह कोई सामान्य हादसा नहीं है। बेशक स्टील के ढांचे पर उत्साहित भीड़ के चढ़ने पर खंभा ढह गया हो और पंडाल भी धराशायी हुआ हो, लेकिन प्रधानमंत्री की रैली में ऐसी लापरवाही अक्षम्य है। शुक्र है कि
सुरेश कुमार, योल कांगड़ा जाते-जाते घुरकड़ी चौक पर बने रेन शैल्टर पर नजर पड़ी। एक तो बरसात का मौसम, ऊपर से रेन शैल्टर की ऐसी हालत। अंदर का फर्श सारा उखड़ा हुआ, अंदर-बाहर कचरे का ढेर लगा हुआ। यानी न अंदर बैठ सकते हैं और न बाहर खड़े हो सकते हैं। हां, रेन शैल्टर के
राजेश कुमार चौहान पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि लोकसभा की पहली कार्यवाही 13 मई 1952 को हुई थी। इसमें लोकसभा की लगभग 677 बैठकें हुई थीं, जिसमें हो-हल्ला नहीं, बल्कि देशहित और जनहित के बारे में सोचा गया था, लेकिन आज संसद का नजारा ही बदल चुका है।
डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं यह भी विचारणीय है कि यदि अमरीका में संरक्षणवाद को अपनाने से निवेश बढ़ा है, तो भारत में संरक्षणवाद को बढ़ाने से निवेश क्यों नहीं बढ़ेगा? मेरा मानना है कि विदेशी निवेश को आकर्षित करने का रास्ता संरक्षणवाद हो सकता है। यदि भारत में विदेशी माल