विचार

डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ विभिन्न सरकारें अपने ढंग से समय-समय पर जनहित में घोषणाएं व निर्णय लेती रहती हैं। विगत समय में प्रधानमंत्री की गैस सबसिडी न लेने की गुहार का भी असर हुआ है। जो साधन संपन्न लोग इस योजना को नहीं माने, तो सरकार ने उन पर अपने ढंग से निर्णय लेकर एक

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में पंथनिरपेक्षता को गंभीरता के साथ नहीं लिया जा रहा है। देश में फिर से विभाजन की आवाजें भी सुनाई दे रही हैं। संसद को स्वयं पहल करते हुए चेतावनी देनी चाहिए कि किसी को भी अलगाववाद की छूट नहीं दी

डा. विनोद गुलियानी, बैजनाथ ‘क्या एक संघीय गठबंधन संभव है’ लेख पर वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने संघीय गठबंधन की संभावना-असंभावना के बारे में हर ओर से प्रकाश डाला है, जो सराहनीय है। इतिहास गवाह है कि 1977 में जनता पार्टी के नाम पर मोरारजी, चौधरी चरण सिंह, जगजीवन बाबू, अटल जी, जार्ज फर्नांडीज, चंद्रशेखर

संसद में 325 और 126 सांसदों के ‘विश्वास’ के बीच गहरा फासला होता है और उसके गंभीर मायने होते हैं। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की यही नियति रही, प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के प्रति विश्वास तय हुआ। यह परोक्षतः जनता का ही विश्वास माना जा सकता है, क्योंकि सांसद जनता का ही प्रतिनिधित्व करते

रूप सिंह नेगी, सोलन सर्वोच्च न्यायालय का केंद्र सरकार को भीड़ की गुंडागर्दी पर शिकंजा कसने और इससे निपटने के लिए उपचारात्मक और दंडात्मक दिशा-निर्देश जारी करना सराहनीय कदम है। पिछले कुछ सालों से भीड़ की करतूतों की वजह से कुछ बेगुनाह लोग भी मारे जा रहे हैं। देश में गुंडागर्दी इस कदर बढ़ रही

प्रीटि जिंटा  हो या कंगना रणौत, दीपक ठाकुर या गे्रट खली, ये सभी पहाड़ की माटी के वे  सितारे हैं , जो अपनी चमक से देश-दुनिया को रोशन कर रहे हैं। कला के क्षेत्र में हिमाचली युवाओं की प्रतिभा को दखल के जरिए बता रहे हैं….. भावना शर्मा, प्रतिमा चौहान के साथ राकेश कथूरिया कला

आशीष बहल लेखक, चंबा से हैं अगर हम आने वाली पीढ़ी के लिए प्राकृतिक संसाधन, जैसे-शुद्ध जल, ताजी हवा, स्वच्छ पर्यावरण बचाकर रखना चाहते हैं, तो आइए समय की इस पुकार को सुनें और इस फैसले का स्वागत करते हुए थर्मोकोल के साथ-साथ अन्य डिस्पोजल के प्रयोग को भी बंद करें… आज पर्यावरण संरक्षण और

राजेश कुमार चौहान भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र में सरकार के प्रति रोष प्रकट करने के लिए हड़ताल, धरने-प्रदर्शनों का सहारा लेने का हक हर विभाग, संगठन को है, लेकिन कुछ ऐसी हड़तालें और धरने-प्रदर्शन आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करते हैं। 20 जुलाई को ट्रकों के पहिए

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं 18 सितंबर, 2016 को भारतीय सेना के उड़ी स्थित स्थानीय मुख्यालय पर आतंकी हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। जाहिर सी बात है कि अपने शहीद जवानों की शहादत का बदला लेना जरूरी था। इसलिए भारतीय सेना के विशेष दस्ते की 29 सितंबर, 2016 को