विचार

राजेश कुमार, जालंधर सरकार ने 12 साल तक की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले दोषियों को मौत की सजा को मंजूरी दे दी है, लेकिन अब यह देखना होगा कि समाज इसका कितना उचित प्रयोग करता है या लाभ उठाता है। सरकार के इस फैसले से पुलिस, जांच एजेंसियों और न्यायालयों की भी जिम्मेदारी बनती

सुप्रीम कोर्ट के ही ‘प्रथम न्यायाधीश’ के खिलाफ आरोपों की बौछार और महाभियोग की कोशिश…! और अब इंसाफ  मांगने को भी उसी की दहलीज़ पर…! क्या दोगलापन है! कांग्रेस को चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, प्रधान न्यायाधीश सभी में खोट नजर आता है, किसी पर भी भरोसा नहीं है। चूंकि उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति वेंकैया

प्रेमचंद माहिल, भोरंज, हमीरपुर प्रदेश के गांवों में आज भी छुआछूत की बीमारी ने अपना विराट रूप धारण कर रखा है। कर्मचारियों को अभी भी हिमाचल के गांवों में क्वार्टर देने से पहले उनकी जाति पूछी जाती है। छुआछूत हमारे समाज पर काला धब्बा है, जिसे पूर्ण रूप से मिटाए बिना स्वच्छ समाज की कल्पना

देश के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ  पहली बार महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है। जस्टिस दीपक मिश्रा की न्यायिक और प्रशासनिक शक्तियां क्षीण होंगी या उन्हें पद से हटने को बाध्य किया जा सकता है, यह कांग्रेस और उसके चंपू विपक्षी दलों की खुशफहमी ही है, लेकिन ऐसा कर आम नागरिक के मौलिक अधिकारों पर डाका

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं गहराई से पड़ताल करने पर पता लगता है कि देश में आने वाला विदेशी निवेश संकटग्रस्त घरेलू कंपनियों को खरीदने के लिए अधिक और नए निवेश करने के लिए कम आ रहा है। जैसे यदि मान लीजिए भारत की कोई कंपनी संकट में है, तो विदेशी

सतपाल लेखक,  सीनियर रिसर्च फेलो, अर्थशास्त्र विभाग एचपीयू से हैं नशाखोरी की बीमारी से हिमाचल भी अछूता नहीं रहा है। नशा कोई भी हो, समाज के किसी भी पहलू में हो, इसके परिणाम न तो मनुष्य के हित में हुए हैं और न ही समाज के हित में हैं। अगर हम वर्तमान समय में नशाखोरी

अंततः हिमाचल में गुणवत्ता  आधारित शिक्षा-चिकित्सा के साथ-साथ अन्य सार्वजनिक सेवाओं के प्रति एक नया विवेचन होने लगा है। जयराम सरकार अगर गुणवत्ता के आधार पर फैसले लेने में कोताही नहीं बरतती है, तो समाधानों के दीप नई रोशनी के प्रतीक बनेंगे। प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने का वास्तविक संदेश भी यही होना चाहिए कि

नीरज कुमार , बाथू, ऊना भारत वर्ष में आजादी के उपरांत चार-पांच दशकों तक शिक्षा के प्रचार-प्रसार व ढांचागत सुधार हेतु तत्कालीन सरकारों ने कई कदम उठाए। अब निजी क्षेत्र में लोगों का रुझान व सरकारी क्षेत्र के विद्यालयों के प्रति उदासीनता, दिख रही है। अब सरकारी स्कूलों में सब कुछ मुफ्त देने के उपरांत,

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं हम पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक भी कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई लाभ मिलता नहीं लग रहा है। आज नहीं, तो कल दोनों देशों को अपने मसले सुलझाने के लिए बातचीत तो करनी ही होगी। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की पाकिस्तान के एनएसए से वार्ता सही