विचार

डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर बहुत नाक में दम किया, बहुत किया अंधेर, अंगुली टेढ़ी कीजिए, मत करिए अब देर। फिर ओसामा की तरह, फैलाएं अब जाल, सबक मिले नापाक को, चलें ट्रंप की चाल। बहुत कर चुके सब्र, अब बहुत बख्श दी जान, दहशत को अब नरक में, दें पूरा सम्मान। उचित समय अब

पहाड़ फिर कराहने लगा और कहीं दरार अस्तित्व के प्रश्नों को लेकर गहरी हो गई। हिमाचल पुनः मौसम की अदालत में कसूरवार और कहीं किसान-बागबान की जड़ें भीतर तक हिलने लगीं। लगातार सूखा भी ऐसा कि लोहड़ी-मकर संक्रांति में भी त्योहार का सारा गुड़ गोबर हो गया। खिचड़ी के माध्यम से अर्जित परंपराओं की ऊर्जा

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं कौटिल्य ने कहा था कि सरकारी कर्मियों द्वारा राज्य के राजस्व की चोरी का पता लगाना उतना ही कठिन है, जितना इस बात का पता लगाना कि तालाब की मछली द्वारा कितना पानी पिया गया। उन्होंने कहा था कि सरकारी कर्मियों के भ्रष्टाचार पर नजर रखने

डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर पिछले दिनों लोकतंत्र के न्यायपालिका वाले खंड में जो भूचाल आया, उससे हर कोई स्तब्ध नजर आता है। कार्यपालिका और न्यायपालिका की कई विफलताओं और खामियों के बीच न्यायपालिका हमेशा लोकतंत्र की हिफाजत करती रही है। ऐसे में जब वह न्यायकर्ता खुद कठघरे में आ जाए, तो देश की जनता का

हिमाचली भूमिका के संदर्भों में अब तक की यात्रा पुनः मुख्यमंत्री के आंगन में पहुंचकर, नई मंजिलें चुन रही है। ऐसे में बतौर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का व्यक्तित्व एक आंचल की तरह जनसंवेदनाओं को समेटता है। उनके बयान, प्रतिक्रिया व कार्रवाई के बीच ही हिमाचल सरकार का मंतव्य, मतलब और मीमांसा का आधार विकसित हो

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं पर्यटकों को सुविधाओं से सुसज्जित आवास, गुणवत्तायुक्त भोजन के अलावा सैर सपाटे के लिए साफ-सुथरी गाडि़यां उपलब्ध करवाना समय की मांग है। हमें ध्यान रखना होगा कि पर्यटकों को बेहतर सड़क, संचार, सुरक्षा तथा आधुनिक सुविधाओं के दम पर ही अपने यहां आने के लिए हम राजी कर

जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र (ई-पेपर के मार्फत) थलसेना प्रमुख ने जम्मू-कश्मीर में दो तरह के नक्शे (एक हिंदोस्तान और दूसरा जम्मू-कश्मीर का) पढ़ाने के गंभीर मुद्दे को उठाया है। इस पर राज्य के शिक्षा मंत्री की प्रतिक्रिया आती है कि  हमें यहां क्या पढ़ाना है और क्या नहीं, इस पर हमें जनरल की सलाह नहीं

बेशक वे सर्वोच्च हैं, सर्वश्रेष्ठ हैं, सुप्रीम न्यायवादी हैं, सद्विचारी, सर्वोच्च ज्ञानी, सदैव निष्ठावान हैं। वे देश के संविधान के प्रति समर्पित भी हैं। न जाने और कितने विशेषण उन न्यायाधीशों के साथ जोड़े जा सकते हैं। उन्होंने खुद को तटस्थ रखते हुए संविधान की व्याख्याएं की हैं और न्यायिक फैसले दिए हैं। जब एक

मनीषा चंदराणा (ई-मेल के मार्फत) फरीदाबाद में चलती गाड़ी में युवती से सामूहिक दुष्कर्म किया गया। हैरान करने वाली बात यह है कि पुलिस चौकी से 100 मीटर की दूरी पर युवती का अपहरण हुआ। पुलिस चौकी से 100 मीटर के क्षेत्र में अपहरण का मतलब है कि पुलिस की निगरानी खुद की चौकी वाले