विचार

(डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर) तीन पीढि़यों तक जम्मू-कश्मीर पर राज करने वाले अब्दुल्ला परिवार के सुर आखिर एकाएक भारत विरोधी क्यों हो गए? क्यों उसे लगने लगा कि पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर पर भारत का दावा कमजोर है? यह तो सुना है कि राजनीति में अवसरवाद हमेशा अपनी करामात दिखाता रहता है, लेकिन अब्दुल्ला परिवार ने

हिमाचली चिंता का सार्वजनिक पक्ष बेहद कमजोर नजर आता है, नतीजतन जब कभी अदालती या एनजीटी के निर्देश आते हैं तो राज्य का विमर्श कठघरे में खड़ा होता है। पर्यावरणीय दुरुस्ती के हस्ताक्षर करते राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कुछ स्थानों पर गर्दन पकड़ी, तो समझ आना चाहिए कि सार्वजनिक चिंता के मजमून कितने अहम हैं।

जनवरी, 2013 में जयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर जारी था। उसके दौरान देश के तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने ‘भगवा आतंकवाद’ का मुद्दा उठाया था। आरोप था कि संघ की शाखाओं में आतंकवाद के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। चूंकि कथन और आरोप गृह मंत्री की ओर से आया था, लिहाजा तीखी

हेमांशु मिश्रा लेखक, पालमपुर से हैं नीतियों में उपेक्षा, समाज में तिरस्कार, आर्थिकी में भेदभाव और शोषण जैसे अनेक जख्म सहकर भी अश्व पालक प्रकृति की अमूल्य धरोहर यानी हमारे नाले और खड्डों को बचाने का काम कर रहे हैं। उनके हितों के लिए अब शासन-प्रशासन के साथ आमजन को भी सोचना होगा… प्राकृतिक संतुलन

(राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टीहरा) ‘विश्व गुरु भारत कैसे बने’ लेख में भानु धमीजा ने भारत की विश्व में छवि को और उज्ज्वल बनाने के लिए कुछ बहुमूल्य सुझाव दिए हैं। जिस देश ने अंतरिक्ष तक पहुंचने के लिए विश्व को शून्य की देन दी हो, जिसकी धर्म-संस्कृति के आगे सारा विश्व नतमस्तक हो, वह

(वैजयंती सूर्यवंशी (ई-मेल के मार्फत) ) दिल्ली पुलिस ने साढ़े चार साल के बच्चे पर दुष्कर्म का आरोप लगने का मामला दर्ज किया है। देश का वातावरण नैतिकता के तौर पर कहां तक खराब हो चुका है, इस मामले से सहज ही समझा जा सकता है। बच्चों को बचपन से ही नैतिकता सिखाने पर जोर

(उज्ज्वल शर्मा, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश) पूरी तरह से जाल में फंसने के बावजूद आतंकवादी हमारे जवानों को निशाना बनाने में सफल हो रहे हैं, तो यह चिंता का विषय होना चाहिए। आपरेशन ऑलआउट के तहत पिछले करीब एक साल में कमांडो सहित 200 से अधिक आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है।

भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं विश्व गुरु बनने से सभी भारतीय गौरवान्वित होंगे। हम सभी उन दिनों के वैभव को तरसते हैं जब हमारे लोग विचार के शिखर पर जा पहुंचे थे, दिव्यता की महान समझ प्राप्त की थी, और जीवनयापन के उत्कृष्ट

हिमाचल में एनजीटी की निगाह अगर लगातार खोट निकाल रही है, तो इसके सबसे बड़े कारणों में राज्य की नीतियों की असफलता, असमानता, अस्पष्टता और अकर्मण्यता रही है। शिमला और रोहतांग की भीड़ के बाद मनाली के होटलों की शुमारी में दोष देख रहे राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के लिए माथापच्ची यह कि किस विभाग की