( ध्रुव, पुराना मटौर, कांगड़ा ) शिक्षक दिवस आने वाला है, जो कि गुरु-शिष्य परंपरा का वाहक है। हर विद्यार्थी इस दिन गुरुओं को सम्मानित करके गर्व महसूस करता है। मगर पिछले कुछ समय में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनके कारण अब गुरु पर से विश्वास ही उठने लगा है। कहीं गुरु अपनी
ठियोग — कोटखाई पुलिस लॉकअप में सूरज की हत्या को लेकर सबूत मिटाने के आरोप में पकड़े गए पुलिस अधिकारियों को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के मामले में लोगों की यही दलील है कि इस पूरे प्रकरण में शुरू से ही पुलिस की जांच शक के दायरे में रही है, जिसके लिए ठियोग कोटखाई
( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) तीन तलाक हुआ हलाल न्यायालय है उच्चतम, इसका देख कमाल, फांसी तीन तलाक को दी, किया खूब हलाल। अधिकारों का था हनन, अंधकार अन्याय, मिली आज स्वाधीनता, इसको कहते न्याय। बात-बात पर भज रहे थे, वो तो तीन तलाक, न्यायालय ने दे दिया, उनको आज तलाक। खेला जब
भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं जहां तक राज्यसभा की भूमिका में बदलावों की बात है, इसे सरकार पर विशिष्ट निरीक्षण का अधिकार देकर, सामान्य उत्तरदायित्व लोकसभा के लिए छोड़ देना चाहिए। उदाहरणार्थ, अमरीकी सेनेट की भांति, भारत की राज्यसभा सभी विदेशी संधियों, प्रमुख
अनिल सोनी खंडित कानून व्यवस्था के सूरमा अगर पकड़े गए, तो निर्देशों की कालिख से पूरा पुलिस महकमा सना दिखाई देता है। जिस एसआईटी के सहारे कोटखाई प्रकरण पर मिट्टी डाली जा रही थी, उसका सारा किरदार सीबीआई की गिरफ्त में है। अंततः हिमाचल के वीभत्स अध्याय पर हम एक शर्मनाक मोड़ की गवाही में,
अब केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की घोषणाओं में समाहित प्रतिज्ञा को देखें, तो एक साथ कई नई एलपीजी एजेंसियां एवं पेट्रोल पंप दिखाई देंगे। यह चमत्कार कमोबेश हर केंद्रीय मंत्री हिमाचल की जमीन पर खड़ा होकर कर सकता है, लेकिन लहजे के इस दीदार में कहीं न कहीं चुनाव की
गुरमीत राम रहीम ‘मैसेंजर ऑफ रेप’ साबित हुआ। दो साध्वियों के साथ बलात्कार और उन्हें जान से मारने की धमकी के मामलों में उसे कुल 20 साल जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी। चूंकि दोनों मामले अलग हैं, अलग एफआईआर है, अलग सबूत और गवाह हैं, दोनों अलग-अलग जुर्म किए गए हैं, अदालत के फैसले भी
कंचन शर्मा लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार हैं जहां भाई-भाई एक इंच जमीन के लिए एक-दूसरे के खून का प्यासा हो जाता है, वहीं अपनी सैकड़ों एकड़ भूमि अंधभक्ति में इन बाबाओं को न्यौछावर कर लोग झूठे आनंद में मस्त रहते हैं। आज के वक्त में क्या कोई ऐसा है, जो अपनी जमा पूंजी या फिर कालाधन
(सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल ) विचारकों का मत है कि जिस दिन सियासत में धर्म और धर्म में सियासत शामिल होगी, तब लोकतंत्र में कई विषयों को लेकर समस्याएं उत्पन्न होंगी और देश की भीतरी और बाहरी सुरक्षा में कमजोरी आएगी। देश पीछे छूटकर अपने-अपने धर्म की चिंता पहले होगी। हरियाणा के भयावह