हनुमान जी की सेना के रूप में आम जनमानस के लिए पूजनीय रहे बंदर ऐसे खुराफाती हुए कि किसानों को दाने-दाने के लाले पड़ गए हैं। कल तक गुड़-चना डालकर अपने आराध्य देव को खुश करने में लगे किसान आज बंदरों के आतंक से इस कद्र परेशान हैं कि घाटे का सौदा साबित हो रही
हिमाचल कांग्रेस के मुख्य पात्र नाराज हैं, तो यह कहानी चरितार्थ कैसे होगी। यूं तो कांग्रेस का वजूद एक ऐसी कहानी सरीखा हो चला है, जो अतीत की परछाइयों में सूर्य को पाने की चेष्टा है। हिमाचल में राजनीति के अपने फलक पर कांग्रेस का किरदार आखिर पाना क्या चाहता है और इसके लिए किसका
डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं देश के हर किसान को एक निर्धारित रकम हर वर्ष नकद देनी चाहिए जैसे एलपीजी सबसिडी को उसके खाते में डाला जा रहा है। जितनी रकम सरकार द्वारा पानी के मूल्य एवं नकदी फसलों पर जीएसटी से वसूल की जाए, उससे ज्यादा रकम किसानों को सीधे
‘मन की बात’ के जरिए प्रधानमंत्री मोदी को एक बार फिर कहना पड़ा है कि आस्था और धर्म के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी। आस्था सांप्रदायिक हो या राजनीतिक विचारधारा के प्रति हो अथवा परंपराओं के प्रति हो, लेकिन उसके नाम पर हिंसा स्वीकार्य नहीं है। जो कानून को हाथ में लेता है और
(डा. शिल्पा जैन सुराना, वारंगल, तेलंगाना ) ढोंगी बाबा राम रहीम को मिली सजा ने फिर से साफ कर दिया है कि देर से ही सही, मगर अपराधी को सजा मिलकर ही रहती है। हमारे देश को आजादी मिले इतने वर्ष हो गए, पर ऐसे पाखंडियों से आजादी पाने में हम आज भी नाकाम दिखते
(राजेश धीमान, लुदरेट, कांगड़ा ) अगर सरकार पर्यावरण को ठीक करने की सच्ची हितैषी है, तो उसको चाहिए कि पौंग डैम की जो करीब 1300 एकड़ जमीन देहरा से लेकर जवाली तक खाली पड़ी है, उस पर बड़ी संख्या में पौधारोपण हो सकता है। अगर वहां पर इस तरह का कोई प्रयास किया जाए, तो
अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं सच्चा सौदा डेरे के चेलों द्वारा एक हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद अंततः गुरमीत राम रहीम को 10 साल की सजा सुना दी गई है। नागरिकों को भी चाहिए कि वे सामाजिक सौहार्द में वृद्धि और विकास रूपी रथ के सारथी बनें, न कि अपने ही प्राणों को जोखिम
(शगुन हंस, योल ) मोदी जी अपने मन की बात तो कह लेते हैं, पर कभी देश के मन की बात भी सुनें। हमारे आठ जवान शहीद होते और दो आतंकी ढेर होते हैं। यह अनुपात तो हारने जैसा ही है। कब तक ढोएंगे सरहदों से लाशें? मन से बाहर, जमीन पर उतर कर सोचें
(अक्षित, आदित्य, तिलक राज गुप्ता, रादौर, हरियाणा) कैसी विडबंना है जिस अबू दुजाना ने अपने देश पाकिस्तान की राह पर भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में आतंकवाद का बीड़ा उठाया। कुछ दिन पहले उसकी मौत के बाद उसके शव को उसके परिवार तक पहुंचाने की भारत की कोशिश को पाकिस्तान ने नकार दिया और उसे भारत