विचार

राजनीति अब परिवहन मंत्री जीएस बाली के जन्मदिन को समझने लगी है, इसलिए समागम की उपस्थिति के मायने हिमाचल कांग्रेस के एक हिस्से को रास आते हैं। यह वर्तमान दौर की सियासत है, इसलिए शिलालेखों का युद्ध स्पष्ट है। नगरोटा बगवां का पूर्ण सत्य भी यही है कि परिवहन मंत्री ने तसल्ली से विकास की

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं सभी कक्षाओं के लिए ड्रिल का एक-एक पीरियड रखना पड़ेगा और कक्षा के सभी विद्यार्थियों को अपनी-अपनी शारीरिक क्रियाओं के लिए जहां माकूल जगह चाहिए, वहीं उपकरण तथा विभिन्न खेलों में भागीदारी पर वह खेल सामान भी चाहिए। इस सबके लिए ज्यादा धन की आवश्यकता स्कूली स्तर पर

(डा. शिल्पा जैन सुराणा, वरंगल, तेलंगाना ) रेलवे के खाने की गुणवत्ता पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह खाना निर्धारित मापदंडों के अनुकूल नहीं होता। दूसरी तरफ खाने का मूल्य भी निर्धारित मूल्य से ज्यादा होता है। इस प्रकार से यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाया जाता रहा

(आरएल चौहान, कोटखाई, शिमला ) बहा रही होंगी शायद अश्रु अब भी, उस अबोध बिटिया की आंखें, रूह जिसकी रुखसत हो गई जहां से, फैलाकर अनजानी-अनदेखी पांखें। असहनीय दुख को सह पाएं, हम सब भी धरें उनके घावों पे मरहम, हमदर्द सांसों से उनको सहलाएं, इस नरक के बाद मिले स्वर्ग। अब तुझे शांति मिले

(नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा। ) कांग्रेस के छह सांसदों द्वारा कागज फाड़कर उन्हें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की ओर फेंकने की हरकत संसद की शुचिता से खिलवाड़ है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संसद के दोनों सदनों को मंदिर के समतुल्य यानी पवित्र स्थान बताया था। लेकिन लोकसभा के इस पवित्र मंदिर में सांसदों के

चुनाव के पहर में हिमाचल और पहरे में सत्ता के कदम। परिस्थितियों को चिन्हित करता सरकार का रुतबा और राजनीतिक शोर में उलझा यह प्रदेश अपने आसपास विचित्र दुर्योग देख रहा है। कोटखाई कांड की चोट पर टूटती सरकार की ढाल या कांग्रेसी फूट की चाल पर बिखरता कुनबा। दहलीज-दर-दहलीज बिगड़ते कदमों की निशानी में

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं एस. राधाकृष्णन, डा. जाकिर हुसैन से लेकर भैरों सिंह शेखावत और वर्तमान उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी तक सभी उपराष्ट्रपतियों की योग्यता और योगदान का लंबा इतिहास रहा है। इनमें से बहुत से महानुभाव बाद में राष्ट्रपति बने, परंतु जहां सब निर्णय राजनीतिक समीकरणों को लेकर होने

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने प्रथम संबोधन में ही अपने मिट्टी के कच्चे घर को नहीं भूले। उन्होंने देश के आखिरी गांव और उसके आखिरी कच्चे घर तक विकास का सपना संजोया है। उन्होंने सरहदों पर देश की रक्षा करते सैनिक से लेकर पुलिस, किसान, महिला, वैज्ञानिक, शिक्षक, डाक्टर और नौजवानों को रोजगार देने वाले स्टार्टअप

विजय शर्मा लेखक, हमीरपुर से हैं दुष्कर्म की भयंकर घटनाएं यह सोचने पर बाध्य करती हैं कि क्या इनसान इस कद्र हैवान व दरिंदा बन सकता है, जो गैंग बनाकर महिलाओं व किशोरियों की अस्मिता को लूटने पर आतुर है। ऐसे घृणित अपराधी तो मर्द कहलाने के भी लायक नहीं हैं, जो बेबस और निरीह