विचार

( कविता, घुमारवी ) भारत की कुल 58 प्रतिशत संपत्ति पर देश के मात्र एक प्रतिशत अमीरों का कब्जा है। अभी हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया के मामले में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत है यानी कि भारत में अमीरों और गरीबों के बीच अधिक असमानता है। दुनिया में लगातार बढ़ती आर्थिक

हिमाचल के अनेक पक्ष बर्फ से भी ज्यादा उज्ज्वल हैं, लेकिन क्या इन उपलब्धियों के सहयोगी कभी चिन्हित हुए। क्या सरकारों ने कभी शाइनिंग हिमाचल की गरिमा में पार्टनर को पहचानने की कोशिश की। तरक्की के ढोल-नगाड़ों के बीच एक ऐसा हिमाचल है, जो खामोशी से अपने राज्य के प्रति मेहनत करता हुआ इसके भविष्य

( अनिल कुमार जसवाल, ऊना रोड, गगरेट ) 130 करोड़ के करीब आबादी वाला भारत आज वश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, जबकि आज भी कुल धन का एक बड़ा हिस्सा काले धन के रूप में है। भारत में काले धन की व्यवस्था को समानांतर अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है। इसका सरल सा अर्थ

डा. भरत झुनझुनवाला ( डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) सरकार द्वारा केवल वही सार्वजनिक माल उपलब्ध कराए जाते हैं, जिन्हें अमीर व्यक्तिगत स्तर पर हासिल नहीं कर सकता है, जैसे कानून व्यवस्था एवं करंसी। सरकार द्वारा उन सार्वजनिक माल को हासिल कराने में रुचि नहीं ली जाती है, जिन्हें अमीर

( बीरबल शर्मा लेखक, मंडी से हैं ) शिकारी क्षेत्र में पिछले कई सालों से लोग फंसते आ रहे हैं, जिन्हें बचाव दलों ने जान पर खेल कर बचाया है। इसके बावजूद ऐसा कोई उपाय नहीं किया गया कि ऐसी स्थिति में कोई आगे न जा पाए। पहले तो सौभाग्य से जानें बचाई जाती रहीं,

( अनुज आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं ) भारतवर्ष के उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद नियमित पेंशन पाना किसी भी सरकारी कर्मचारी का अधिकार है। केवल गंभीर कदाचार के आरोपों के चलते ही किसी सरकारी कर्मचारी को पेंशन देने से इनकार किया जा सकता है अथवा पेंशन को जब्त किया

( देव गुलेरिया, योल कैंप, धर्मशाला ) एक दूरदर्शन चैनल के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि सभी इस्लामिक देश मिल एक इस्लामिक सेना का गठन कर रहे हैं, जिसमें मुख्य भूमिका में सऊदी अरब और पाकिस्तान हैं। इस सेना का मुख्य कमांडर पाकिस्तान के सेवानिवृत्त सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ को नामित किया गया है। इस

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) मन पर हावी हो गया, अब सेल्फी का रोग, यह संक्रामक है बड़ा, बना मानसिक रोग। चार दिनों की जिंदगी, खाएं-पीएं रहें मस्त, सैल्फी उड़ती ट्रेन से लेकर, होते हो क्यों पस्त। छोड़े भी नहीं छूटता, यह सैल्फी का क्रेज, चलते हम तो धार पर, बेशक खंजर तेज।

रोहड़ू के गांव तांगणू में अग्निकांड के अनेक कारण सामने आएंगे, लेकिन राहत का पैगाम एक ही होगा और यह संभव है कि हिमाचली समाज आगे आकर इनके आंसू पोंछे। बेशक तांगणू गांव के घर छोटे और लागत में भी कमजोर रहे होंगे, लेकिन आशियाना हमेशा जिंदगी से बड़ा होता है। अतः 49 परिवारों के