विचार

( रूप सिंह नेगी, सोलन ) वित्त मंत्री ने कर संग्रह से संबंधित कुछ आंकड़े पेश किए हैं, जिनके जरिए संभवतः यही जताने की कोशिश की गई है कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने यह नहीं बताया कि इस बढ़ोतरी के पीछे और क्या कारण हैं? इस बढ़ोतरी के पीछे यह

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं ) केंद्र सरकार के खर्चों को पूंजी एवं राजस्व श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है। पूंजी खर्चों में राफेल फाइटर प्लेन की खरीद, नई रेलवे लाइनों को बिछाना तथा हाई-वे बनाना आदि शामिल है। इनका विस्तार कम ही हुआ है। सरकार द्वारा जारी मिड टर्म

प्रदेश के बागबानी विभाग ने सेब की गुणवत्ता के लिहाज से अवैध तरीके से पौधे उगाकर धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ी है। ब्लॉक स्तर पर समितियों के मार्फत यह सुनिश्चित होगा कि कहीं कोई अवैध तरीके से बागबानों की मेहनत का चूरमा न कर दे। किसान-बागबान की मेहनत चुराने की पहली कोशिश

साइकिल के दो पहिए…गंगा-यमुना सरीखा गठबंधन…अवसरवादी के बजाय विकासवादी गठबंधन…लेकिन गठबंधन और अखिलेश-राहुल की साझा सियासत पर मौन ‘नेताजी’ मुलायम सिंह यादव…कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं ही ‘नेताजी’ खामोश नहीं रहते। बाद में बोले भी, तो गठबंधन के खिलाफ। सपा के अखिलेश यादव और कांग्रेस के राहुल गांधी ने साझा प्रेस कान्फ्रेंस कर और

( अमित पडियार (ई-मेल के मार्फत) ) इस साल शौर्य पदक देकर सम्मानित किए हुए सैनिकों की साहस कथाओं को ज्यादा लोगों तक प्रसारित करने का आवाहन प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में किया है। सैनिक किस तरह दुश्मन से लड़ते हैं, यह देश की जनता को पता रहना चाहिए। लोगों को क्रिकेटर, बालीवुड

( डा. बलदेव सिंह नेगी लेखक, एचपीयू में परियोजना अधिकारी हैं ) हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग से जो भी भर्तियां हों, अन्य राज्यों की भांति सौ प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग में भी कुछ भर्तियों के आलावा सभी से साक्षात्कार को हटाना होगा। यह प्रदेश के पढे़-लिखे और मेहनती युवाओं के साथ

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) भूले बैठे थे जड़ें, आई अचानक याद, राजकुंवर ने ध्यान से, सुन ली अब फरियाद। सिंहासन के मोल पर, बेच दिया ईमान, हया-शर्म है ताक पर, तब कैसे अपमान। जनता जाए भाड़ में, रहे पूडि़यां सेंक, नाक कटाकर हंस रहे, नेता यहां अनेक। अलख जगाने आ गए, जनसेवक

( चिर आंनद, नाहन, सिरमौर ) ‘कश्मीरियत को मिलती अभिनव पहचान’ शीर्षक से प्रकाशित डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री जी का लेख न केवल कश्मीरियों, बल्कि संपूर्ण भारत के लोगों की आंखे खोलने वाला है। लेखक ने बड़ी बारीकी से विश्लेषण किया है कि किस तरह से गिलानी-खुसरानी आदि बाहरी लोग घाटी के लोगों में भ्रम

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर (ई-पेपर के मार्फत) ) केंद्र सरकार ने किसानों को नोटबंदी के बाद कुछ राहत देते हुए बैंकों से लिए गए कृषि कर्ज के दो माह की ब्याज राशि माफ कर दी है। हालांकि सरकार की इस घोषणा के राजनीतिक मायने भी लगाए जा रहे हैं और यह भी कहा