विचार

संसद कोई गली-मोहल्ला या चाल-चौपाल नहीं है कि मनमर्जी भाषा का उपयोग किया जाए या अभद्र, असभ्य, अश्लील भाषा की हदों तक पहुंचा जाए। वाणी, विचार और वक्तव्य के संदर्भ में औसत सांसद ही नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री को भी संयमित रहना लाजिमी है। यह किसी संविधान या नैतिकता के दस्तावेजों में नहीं लिखा है। संसद

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री (  लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) जो मुसलमान मूल रूप से भारत के ही रहने वाले हैं और उन्होंने किन्हीं भी कारणों से अपनी पूजा पद्धति बदल ली, उनको तो शायद हिंदू राष्ट्रीयता के अर्थों में स्वीकारने में कोई आपत्ति नहीं है। यही कारण है कि शेख मोहम्मद अब्दुल्ला तक ने

( कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं ) बेशक मुख्यमंत्री पशुओं को लावारिस छोड़ने वालों को पकड़ने या उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कर रहे हैं, लेकिन समाज के मन में पैदा हो चुका खोट कब खत्म होगा? कब तक लोग किसी काम के न रहे गोवंश को गोशाला से बाहर का

आंकड़ों की प्रभावशाली अभिव्यक्ति में हिमाचली कदमों का कामयाब सफर उस हकीकत की मंजिल है, जहां यह प्रदेश आज खड़ा है। पंजाब से उत्तर प्रदेश तक निकली देश की राजनीति जो बटोर रही है, उससे कहीं भिन्न शिलालेख हिमाचल में पहले से दर्ज हैं। प्रभाव के इसी दौर की नुमाइश में प्रदेश की पैरवी का

( शगुन हंस, योल ) हिमाचल में स्मार्ट सिटी का ऐलान हो गया। हिमाचल शिक्षा में अव्वल और स्वास्थ्य में पहले पायदान पर पहुंच गया। पर हिमाचली बेटियां उनके बारे भी सरकार का, समाज का कुछ फर्ज है। उस फर्ज की फजीहत करने में हिमाचल पीछे नहीं है। कल के ही एक समाचार ने चौंका

( मानसी जोशी (ई-मेल के मार्फत) ) असामाजिक तत्त्वों के खुराफाती कारनामों ने रेल सुरक्षा की चुनौतियों को बढ़ा दिया है। देश में रेलवे का आज एक विशाल जाल फैल चुका है, लिहाजा हर पटरी पर हर वक्त नजर रख पाना संभव नहीं है। इसी का लाभ उठाकर कई लोग पटरियों को नुकसान पहुंचाकर दर्दनाक

( अमर सिंह, समैला, बलद्वाड़ा, मंडी ) देख गिरती नैतिकता मानव की, कुत्ता भी लजाया, मैं तो हूं कुत्ता, पर ये नीच मानव कहां से आया। कहलाता इनसान खुद को, खो रहा अपनी पहचान, बदलती जा रही, दिन-प्रतिदिन इसकी नीयत, न रहा धर्म न रहा ईमान। कामनाओं में होकर अंधा, रिश्तों को कर रहा तार-तार,

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) राष्ट्रपति ट्रंप ने 27 जनवरी को एक एग्जीक्यूटिव आदेश पारित कर सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमरीका आने पर रोक लगा दी थी। हालांकि शुरू में यह फरमान थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन इसकी गहराई में जाने पर इसका औचित्य समझ में आया। कौन नहीं जानता कि इन

प्रो. एनके सिंह ( प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं ) मोदी के विरोध में सक्रिय विदेशी मीडिया ने भी केंद्र सरकार के बजट का समर्थन किया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बजट को ‘बहुत बढि़या’ बताया है, वहीं वाशिंगटन पोस्ट ने भी बजट पर सकारात्मक टिप्पणी की है।