विचार

मेरे लंगोट में आने में कोई कमी नहीं है, लेकिन पत्नी व बच्चे मुझे बाबाजी भी नहीं बनने दे रहे। जब मैं प्याज-टमाटर भी नहीं खरीद पा रहा हूं, स्कूटर में पैट्रोल नहीं भरवा पा रहा हूं, तो मुझे चालीस साल की इस आयु में बाबा बन ही जाना चाहिए। बाबा पिचहत्तर वर्ष का भी मर्दाना टेस्ट में फिट है और मेरी चालीस में हवा निकल गई है। बताइये परिस्थितियां मेरी बाबा बनने के अनुकूल हैं या नहीं? बाबा लोग मलीदे खा-खा कर मुस्टंडे हो रहे हैं और मेरी बिना एक्स-रे करवाए ही सारी पसलियां गिनी जा सकती हैं। मैं सारे जहां से अपील करता हूं कि मुझे बाबा बनने से न रोका जाए। खास तौर पर मेरा मेरे परिवारजनों से आग्रह है कि वे अब मुझे बाबा बनने से न रोकें। उनकी दलील है कि कोल्हू का बैल कोल्हू में घूमता हुआ ही भला लगता है। बाबा बन जाओगे तो किसी जेल में पड़े-पड़े सड़ोगे, इससे अच्छा तो गृ

केंद्र सरकार ने सडक़ दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों की जान बचाने के लिए अर्थात उनका इलाज करने के लिए कैशलैस ट्रीटमेंट योजना को हरी झंडी दे दी है। यह योजना 5 मई 2025 से शुरू हो गई है और इसके तहत लगभग 1.5 लाख कैशलैस इलाज की व्यवस्था होगी। सरकार ने इस योजना के तहत बहुत से अस्पतालों के साथ सहमति बनाई होगी।

एक मां परिवार की रीढ़ होती है और उसे अपनी भूमिका बखूबी निभाने के लिए एक मजबूत आधार की जरूरत होती है। हर मां अपने बच्चों के लिए दिनभर भागदौड़ करती है, वह भी अपना ख्याल रखे बिना। अगर मां बीमार पड़ जाए तो ऐसा लगता है कि सारे काम रुक गए हैं, इसलिए अपनी हेल्थ के साथ-साथ अपनी मां की हेल्थ भी अच्छी होना जरूरी है। इस बार मदर्स डे पर आप अपनी मां की हेल्थ का ख्याल रखने के लिए उन्हें हेल्थ से जुड़े कुछ तोहफे गिफ्ट कर सकते हैं, जो आपकी मां की हेल्थ का ख्याल रखने के

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से भी पाकिस्तान खाली हाथ लौटा। वह यह राहत महसूस कर रहा होगा कि सुरक्षा परिषद में उसके खिलाफ न तो बयान जारी किया गया और न ही कोई प्रस्ताव पारित किया गया। यह तसल्ली होगी कि कश्मीर का मुद्दा आज भी जिंदा है और उसका अंतरराष्ट्रीयकरण किया जा सकता है। पाकिस्तान के आग्रह पर ही सुरक्षा परिषद के मई महीने के अध्यक्ष यूनान ने बैठक जरूर बुलाई और वह भी बंद कमरे में आयोजित की गई, लेकिन सारांशत: वह बैठक बेमानी ही रही। सुरक्षा परिषद की ओर से न तो कोई बयान जारी किया गया और न ही कोई प्रस्ताव पारित किया गया। पाकिस्तान भी 15

मेडिकल कालेज जैसे संस्थानों की इमारतों की वास्तुकला तथा इनकी परिकल्पना में भविष्य की अधिकांश जरूरतें नत्थी होनी चाहिएं। आश्चर्य यह है कि ऐसे सिद्धांत हिमाचल के उभरते मेडिकल कालेजों में पराजित होने लगे हैं। टांडा मेडिकल कालेज के मदर एंड चाइल्ड अस्पताल पर 44 करोड़ व्यय और इस संस्थान का नामकरण करने के बावजूद इसकी परिकल्पना रैंप न होने के कारण चोट खा रही है। कितनी हैरानी की बात है कि अस्पताल की अहम भूमिका में खड़ी इमा

सहज संन्यास मिशन की मान्यता है कि हम सरल हो जाएं, सच्चे हो जाएं, निस्वार्थ हो जाएं और प्रेममय हो जाएं तो हम संन्यासी हो गए। उसके लिए घर, परिवार, समाज, मित्र, रिश्तेदार, व्यवसाय या नौकरी छोडऩे की आवश्यकता नहीं है, किसी खास तरह के कपड़े पहनने की आवश्यकता नहीं है। गेरुए वस्त्र पहन कर हम लोगों को बताते हैं कि हम संन्यासी हैं, गृहस्थ संन्यास में रहकर हमें कुछ भी बताने, समझाने या घोषणा करने की भी आवश्यकता नहीं है। यहां तो सिर्फ खुद को समझाने और फिर खुद को समझने की आवश्यकता है। संन्यास इसी में पूरा हो जाता है। परमात्मा तक पहुंचने के कई रास्ते हैं।

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ हमला भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक नए और भयावह मोड़ का प्रतीक बन गया। इस निर्मम घटना में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान गई, जिन्हें केवल उनके धर्म के आधार पर चुन-चुनकर मारा गया। आतंकियों ने पहले लोगों से उनका धर्म पूछा और जो लोग मुस्लिम धर्म की कलमा पढऩे या अन्य धार्मिक गतिविधियां निभाने में असमर्थ पाए गए, उन्हें बेरहमी से गोली मार दी गई। यह हमला न सिर्फ एक आतंकवादी कार्रवाई थी, बल्कि भारत की धर्मनिरपेक्ष अस्मिता पर किया गया सीधा हमला था। आतंकवाद अब केवल राजनीतिक या सामरिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि वह धार्मिक कट्टरता और मानवता के मूल्यों के पूर्ण पतन का रूप ले चुका है। इस हमले ने न केवल देश को आक्रोशित किया, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान प्रायोजित

जो गरिमा शब्द सेवानिवृत्ति में है, वह भला रिटायर कर देने या छुटकारा पा लेने में कहां? इसीलिए बड़े बूढ़े फरमा गए हैं, कि बेटा किसी को जहर भी देना हो तो मीठी गिल्लौरी में डाल कर देना, वह मजे से निगल जाएगा और रुखसत होते हुए उसके स्वाद की तारीफ भी कर देगा। अभी पिछले दिनों ऐसी ही एक वाहवाही इस आदेश ने लूट ली। बेकारी की समस्या की भीषणता से पूरा देश दो-चार हो रहा है। जनाब, लोगों ने अपने बच्चे कालेजों में पढ़ाने बंद कर दिए हैं और पढ़ाने के नाम पर

वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 445256 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4 फीसदी अधिक हैं, यानी हर घंटे लगभग 51 एफआईआर दर्ज की गईं। यह ध्यान देने वाली बात है कि ये सिर्फ दर्ज मामले हैं। भारत में कई घटनाएं कई कारणों से रिपोर्ट नहीं की जाती हैं। ये कारण पैसे और बाहुबल, सामाजिक कलंक, पारिवारिक दबाव, मौत की धमकी आदि के कारण हो सकते हैं। इसको कैसे काबू किया जा सकता है? ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता’, इसका अर्थ है कि जहां महिलाओं की पूजा होती है, वहां भगवान निवास करते हैं। भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को संबोधित करने के लिए