विचार

आम चुनाव, 2024 के लिए मतदान की शुरुआत हो चुकी है। देश के 17 राज्यों और 7 संघशासित क्षेत्रों की 102 लोकसभा सीटों पर प्रथम चरण का मतदान हो चुका है। जनादेश का एक हिस्सा उन ईवीएम में ही दर्ज हो चुका है...

सरकार वामपंथी अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सडक़ें बनाने की योजना पर तेजी से काम कर रही है और वर्ष 2022 तक 48877 किलोमीटर सडक़ें बनाने का लक्ष्य रखा गया है। वामपंथी अतिवाद से प्रभावित क्षेत्रों में संचार सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए सरकार बड़ी संख्या में मोबाइल टावर लगाने का काम कर रही है...

हर बुजुर्ग के पास अपने कुछ ऐसे अनुभव और सीख होती है जो कि गूगल में भी नहीं मिलती। एकल परिवार में अकेलेपन के शिकार बच्चे कई प्रकार की मानसिक विकृतियों का शिकार हो रहे हैं। बुजुर्ग अपने संघर्ष के बारे में जो बताते थे तो बच्चे प्रोत्साहित होते थे और विषम से विषम परिस्थितियों को संभालने की क्षमता रखते थे। पर आज छोटी-छोटी बातों पर आत्महत्या या दूसरों की हत्या एक आम बात हो चुकी है। बच्चे नशे के जाल में फंस कर जीवन बर्बाद कर रहे हैं...

बेशक मुकेश अग्रिहोत्री की बेटी आस्था ने चुनाव लडऩे में अनिच्छा जाहिर की, लेकिन कुछ तो ऐसा रहा कि कांग्रेस के सियासी तराजू में उसका वजन देखा गया। जिस सौम्यता, सादगी और तहजीब का इजहार करती हुई...

देखिए जी, मैंने अपनी जिंदगी में या तो ईमानदारी को महत्व दिया है या फिर ब्रीफकेस को। ब्रीफकेस में हम महत्वपूर्ण दस्तावेज रखते हैं। कई बार जल्दी-जल्दी में अंडरवियर और बनियान भी रख लेते हैं और टूथब्रश भी रख लेते हैं।

कांग्रेस के विक्रमादित्य और भाजपा की कंगना रनौत लोकसभा चुनाव के लिए मंडी से प्रत्याशी हैं। कंगना की राजनीति में नई-नई एंट्री है और वह शायद पहली बार चुनाव लड़ रही हैं, जबकि विक्रमादित्य राजनीति में पिछले कुछ वर्षों से सक्रिय हैं...

पिछले कुछ सालों से राहुल गांधी के बयानों को भी इसी गहरी नजर से देखना चाहिए। वह अमरीका के लोगों को बताते रहे हैं कि भारत को पाकिस्तान समर्थक इस्लामी आतंकवादियों से इतना डर नहीं है जितना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से...

19 अप्रैल को वल्र्ड लिवर डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को लिवर को सुरक्षित रखने के प्रति जागरूक करना भी है। हमारे शरीर के वैसे तो सभी अंगों का तंदुरुस्त होना हमारे लिए वरदान है, लेकिन हमारे शरीर के कुछ अंग ऐसे भी हैं जिनमें अगर हमारे गलत खानपान और जीवनशैली के कारण दिक्क

बहुत दिनों तक तो साहित्यकार ढोलकी राम जी तय नहीं कर पाए कि उन्हें साहित्य में डटे रहना चाहिए अथवा आउट हो जाता चाहिए। परंतु उन्हें बाद में ‘केवल्य’ प्राप्त हुआ कि कोई स्वनामधन्य आलोचक उन्हें साहित्य के मैदान में पटखनी देकर चारों खाने चित करे, इससे पूर्व ही स्वयं के तथा साहित्य के हित में इस क्षेत्र को त्याग देना चाहिए। इसलिए एक दिन उन्होंने साहित्य से संन्यास की घोषणा कर दी। ढोलकी राम जी द्वारा साहित्य से पलायन का समाचार जंगल की आग की तरह पूरे शहर में फैल गया। मुझ तक