वैचारिक लेख

बहस चल रही है और लगातार चल रही है। बहस किसी सदन में नहीं चल रही है, बल्कि अहाते में चल रही है। अहाता भी सरकार से मंजूरशुदा नहीं है। बल्कि यूनिवर्सिटी टाइम के मित्रों का है। कई सालों से सेटिंग से ही चल रहा है। पहले उधर सेटिंग थी, अब इधर सेटिंग है। क्योंकि अपनी ही सरकार है। अफसर अपने हैं, पुलिस अपनी है, एक्साइज वाले अपने हैं और ऊपर से आदेश भी हैं, इसलिए सेटिंग जोरदार है। सभी अहाते के वर्कर बराकर सेल्यूट ठोकते हैं। पूछते हैं कि सोडा तो नहीं चाहिए। कोई नई पेटी तो नहीं चाहिए। देने वालों ने सिर्फ एक आदेश देना होता है। सोडा भी हाजिर हो

भारत के देसी मुसलमानों को इस्लाम का हाथ पकड़े हुए पांच सौ से भी ज्यादा साल हो गए हैं, लेकिन दिल्ली की मस्जिद पर अभी भी बुखारा वालों का ही कब्जा है। क्या कोई देसी मुसलमान इन पांच सौ साल में भी इतना काबिल नहीं हो पाया कि वह इस मस्जिद का इंतजाम संभाल सके...

विद्यालय के प्रधानाचार्यों व शारीरिक शिक्षा के अध्यापकों को चाहिए कि वे खेल सुविधा व प्रतिभा के अनुसार अपने विद्यालयों में अच्छे प्रशिक्षकों के साथ प्रशिक्षण चलाएं...

सखी! तेरा क्लास फैलो वसंत नहीं, प्रकृतिवाला मौसमी वसंत आ गया है। चारों तरफ हरियाली छटा और गुलाबी ठंड है। अपना होश संभाल और पत्ते-पत्ते व फूल-फूल को निहार। जीवन में नवचेतना भरने वाला वसंत आ गया है। वसंत के बाद तो मजे ही मजे है। पहले वसंत, फिर वेलेंटाइन डे, फिर फागुुन और फिर होली। मस्ती का दरबार सजा हुआ है। अपने आपको डुबो ले इसमें। इसकी छटा ही न्यारी है। यही वह ऋतु है-जब बूढ़ों में जवानी आ जाती है। इसलिए बूढ़ों से बचकर चल और जवानों के संग बोल-बतिया। सखी! यह बेला मामूली नहीं है। बजट आएगा। वही घाटे को पूरा करने वाला बजट। महंगाई को बढ़ाने वाला बजट। लेकिन तू बजट की परवाह मत कर। तू तो सोलह सिंगार करके चिहुंकत फिर। कमाने वाले जा

जब कोई व्यक्ति हमें कोई ऐसी बात बताए जो हमें पहले से मालूम हो तो यह कहने के बजाय कि मुझे पता है, हम अगर कहें कि आप सही कह रहे हैं तो कितना अच्छा होगा? किसी के साथ बहस के समय अगर हम ऐसा करें तो बहस की गर्मी और कड़वाहट खत्म हो जाती है। तब वह बहस के बजाय एक-दूसरे का नजरिया समझने का जरिया बन जाती है। इसी तरह अगर हम किसी को अपनी बात समझा रहे हों तो यह कहने के बजाय कि आपके कोई सवाल हों तो पूछ लीजिए, हम अगर यह कहें कि आपके सवाल क्या हैं, तो सामने वाले को अपनी बात कहने में झिझक नहीं होगी,

हिमाचल प्रदेश पुलिस ने लोगों को नशे से दूर रहने का संदेश कुछ अनोखे अंदाज में दिया। पुलिस ने लिखा है कि अगर ड्रग्स का नशा चढ़ रहा है तो हमारी जेलों में लंबे समय तक ठंड का आनंद लेने के लिए पुलिस आपका स्वागत करती है। एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट) के मामलों में गिरफ्तारी और जब्ती की जानकारी भी जिले भर की पुलिस अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर करती रहती है ताकि नशा तस्करों और नशेडिय़ों के बीच डर पैदा हो सके...

प्रिय मित्रो, हमें लगता है अब इस नए जमाने में आपको अपनी पुरानी सोच का परित्याग करना पड़ेगा। जो कल अच्छा था वह अब समय बीतने के साथ बोसीदा हो गया है। अब इसे सुधारने का प्रयास करोगे, तो ऐसे लगेगा कि जैसे आप अपने उधड़े हुए कोट के बखिये मरम्मत करने की कोशिश कर रहे हैं। अब इस मरम्मत को क्या कहें? एक ओर से बखिया सीते हैं तो दूसरी ओर से उधड़ जाता है। क्यों न जो कोट इन सदियों जैसे बरसों से हम पर लदा है और हमें फटीचर हो जाने का एहसास करवा रहा है, जी हां, क्यों न इसे उठा कर एक ओर फेंक दिया जाए और इसकी जगह ए

विधि आयोग की सिफारिशों में इस बात पर जोर दिया गया है कि लंबित मुकदमों के निपटारे के लिए छुट्टियों के दिनों में कटौती की जानी चाहिए। अमरीकी विचारक अलेक्जेंडर हैमिल्टन ने कहा था, ‘न्यायपालिका राज्य का सबसे कमजोर तंत्र होता है, क्योंकि उसके पास न तो धन होता है और न ही हथियार। धन के लिए न्यायपालिका को सरकार पर आश्रित रहना होता है और अपने दिए गए फैसलों को लागू कराने के लिए उसे कार्यपालिका पर निर्भर रहना होता है।’ ऐसे कई मामले हैं जिन्हें केवल बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है...

साइबर अपराध से संबंधित शिकायत राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर की जा सकती है। यदि किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की साइबर अपराध घटना होती है तो 1930 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। केंद्र में मोदी सरकार ने भी साइबर सिक्योरिटी को बेहतर बनाने के लिए राष्ट्रीय