वैचारिक लेख

आप उन लोगों की लिस्ट तैयार करें जिनके साथ आपको हमेशा एक सहारा मिलता रहा है, जिनके पास आप अपना सुख-दुख बांट पाती हों या जिनके पास आप खुलकर हर बात बोल पाती हों। अकेलेपन की भले ही आप शिकार हों, लेकिन यह हमेशा खुद सोचें कि आपको जहां तक हो सके, सोशल बनना है। इसके लिए आप खुद को कहें कि आप इंट्रेस्टिंग हैं और आपको लोग पसंद

जलाशय, बावडिय़ां, कुएं, हैंड पंप तथा विभागीय आपूर्ति स्रोतों का रखरखाव जरूरी होने के साथ इनके इर्द-गिर्द पसरती गंदगी को रोकने के लिए समुदाय को ही चौकन्ना होना पड़ेगा। वैदिक संस्कृति में जल का महत्व आचमन से लेकर वृष्टि यज्ञ तक है। जल के बिना जीवन संभव नहीं है। हमारी संस्कृति में जल को देवता कहा गया है। धार्मिक अनुष्ठान, विवाह आदि मांगलिक कार्य जल पू

अबके फिर चुनाव घोषित हुए तो वे फिर आए। मुस्कुराते हुए ! गुनगुनाते हुए ! अपने चमचों के साथ बल खाते हुए। इतराते हुए। आते ही वे मेरे गले पड़े। मेरे पांव छूते पूछे, ‘और दाता! क्या हाल हैं? माफ करना! मुझे फिर आना पड़ा। सच कहूं ये चुनाव न हुआ करते तो बार बार तुम्हें कष्ट देने न आना पड़ता। पर चलो! इस बहाने तुम्हारे दर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य तो मिल जाता है।’ ‘ठीक हूं महाराज!’ मैंने हाथ जोड़े। क्योंकि जानता हूं जिस तरह पानी में रहते मगर से बैर नहीं लेना चाहिए, उसी तरह लोक

सौर ऊर्जा के उपयोग की एक टेक्नॉलॉजी ‘सौर फोटो वोल्टेइक सेल’ (पीवीसी) है। यह पीवीसी सौर ऊर्जा को सीधे बिजली में बदल देते हैं। अंतरिक्ष में इस तरह संयंत्र स्थापित करना अत्यधिक लाभदायक है

शिष्यों और गुरुओं के बीच संबंध बहुत मूल्यवान थे, परंतु आज शिक्षा ग्रहण करने का स्वरूप बदलता हुआ दिखाई देता है। अधिकतर बच्चे स्कूलों में अपने मनोरंजनात्मक कार्यों के लिए पाठशाला में समय बिताने आते हैं।

हो सकता है कि आप मुझसे पूछें कि रीढ़, पायदान और पदोन्नति का आपस में क्या सम्बन्ध है। तो साधो! सदी के लिजलिजे महानट के पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने अपनी कविता ‘मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते

हम उम्मीद करें कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद देश वैश्विक आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों के मुताबिक वर्ष 2027 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

यह देश के स्वायत्त संस्थानों के असंवेदनशील व्यवहार के प्रति देश की सर्वोच्च अदालत का असाधारण आदेश है। सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश लोकतांत्रिक व्यवस्था के अधीनस्थ संस्थाओं की निरंकुशता व असंवैधानिक कृत्यों पर रोक लगाने में कारगर साबित होगा...

शहर के जादूगर उस दिन मंच पर थे और जनता बेसब्री से कुछ ऐसा देखना चाहती थी, जो उसके जीवन में संभव नहीं। दरअसल जादूगरों ने तय कर रखा था कि अब देश को जादू का विश्व गुरु बनाएंगे। जनता को देश की खातिर हर जादू और हर जादूगर मंजूर है, इसलिए इस तरह के शो कहीं भी हिट हो रहे हैं, बल्कि जहां कुछ भी संभव नहीं वहां भी जादू का शो कामयाब हो रहा है। सृष्टि में जादू पहले आया या ईश्वर पर भरोसा, इस बहस मेें कई धर्म निकल आए, लेकिन हर किसी को जादू पर यकीन रहा। जा