वैचारिक लेख

यह ठीक है कि सरकारें बर्मा से नाजायज तौर पर आने वाले कूकी समुदाय को मणिपुर के पहाड़ों पर कब्जा करते देखती रही और सोई रही। चर्च चुपचाप जंगलों में चर्च व भवन बनाता रहा। लेकिन हाल ही में जो तूफान मणिपुर में उठा, उसका कारण क्या है? दरअसल मणिपुर उच्च न्यायालय ने मार्च 2023

वैसे तो हिमाचल प्रदेश की तरक्की में विभिन्न सरकारों का योगदान रहा है, मगर हिमाचल प्रदेश में पहली बार नई सदी के शुरुआती वर्षों में प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल की सरकार ने राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल ढांचे को खड़ा करने की शुरुआत की और आज हिमाचल प्रदेश में कई खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय

आजकल पुरस्कार मूली-गाजर के भाव मिल रहे हैं। देने वाले फेरी लगाकर आवाज लगाते हैं-पुरस्कार ले लो पुरस्कार। हर चीज के खरीददार मिलेंगे। फिर पुरस्कारों को कौन छोड़ता है-जब वे बिना योगदान के मात्र मोलभाव के मोल मिलने लगें तो। पुरस्कार साहित्य का है तो और भी सुविधा है। अपना आदमी होना चाहिए। अपना खेमा

अचेतन मस्तिष्क हमारे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क की तरह है जहां सभी जन्मों की याद छुपी है। एक स्पिरिचुअल हीलर के रूप में जब मैं अपने पास आए लोगों की काउंसिलिंग करता हूं तो मैं उनके लिए उनके अर्धचेतन मस्तिष्क और अचेतन मस्तिष्क के द्वार खोल देता हूं। वहां उनकी हर समस्या का समाधान मौजूद

किसी भी ऐसे व्यक्ति के साथ पिन और ओटीपी साझा न करें जिस पर आप भरोसा नहीं करते हैं या ऐसी परिस्थितियों में भरोसा नहीं किया जा सकता है। हमेशा अवांछित कॉलर्स, ई-मेल्स, एसएमएस को संदेह की दृष्टि से देखेंं… पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत भी ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली व ई-कॉमर्स की ओर बढ़ रहा

ये कैसे नरभक्षी दिन हमारे सिर पर महीनों झूलते रहे। तूफान ऐसा बहा कि उसने साबुत इमारतें तो क्या, खंडहर तक नष्ट कर दिए और अब मसीहा फरमाते हैं, ‘लो परमात्मा का शुक्र अदा करो, कि वह मौत की अंधेरी गुजऱ गई। अब अगर कुछ बच गया है तो उसकी सार-सम्भाल कर लो।’ जी हां,

यह आवश्यक है कि हम सभी भी अपने किरदार के साथ समय, स्थान तथा स्थिति के अनुसार अपनी सीमाओं को समझें… ‘हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, लोग कत्ल भी करते हैं चर्चा नहीं होता।’ अकबर इलाहाबादी के इस शे’र में बहुत आक्रोश और शिकायत है। वैसे तो खाना-पीना, पहनना, नाचना,

हालांकि ऐसे लोग अभी भी हैं जिन्हें पंचायती राज में महिलाओं की भूमिका पसंद नहीं है। ऐसे लोग महिलाओं की पंचायती राज में बढ़ती भूमिका को खत्म करने का षड्यंत्र करते रहते हैं। महिला सरपंचों की जगह पर उनके संबंधी कुर्सी पर कायम हैं… ग्रामीण महिलाएं घर सजाने, खाना बनाने, बच्चे पालने और कपड़े सिलने

उन जैसे सदाचारी देश बेच अपनी जेबें भर रहे हैं तो मेरे जैसे देवता मुहल्ला। बेचकर। कोई माने या न, पर कहीं न कहीं हम सब अपना कुछ न कुछ बेचते ही रहते हैं। जहां मौका मिला, वहां अपना कुछ न कुछ बेच डाला। जेब भरी और मुस्कुराते हुए, दुम दबाते हुए आगे हो लिए।