वैचारिक लेख

शारदीय नवरात्रि में प्रभु श्रीराम रामेश्वरम धाम में समुद्र तट पर भगवती मां के नौ स्वरूपों की आराधना करते हैं और चार वेदों के ज्ञाता, सभी ग्रहों को अपने वश में करने वाले महान विद्वान लंकापति राजा रावण को पराजित करने का वरदान प्राप्त करते हैं...

गरीबी, अशिक्षा, यातायात जाम और भुखमरी जैसी समस्याओं का एक मूल कारण बढ़ती जनसंख्या है। कोई भी राजनीतिक दल इसे अपने एजेंडे के रूप में नहीं रखना चाहता, क्योंकि कई समुदाय इस मुद्दे का विरोध करेंगे और यह एक राजनीतिक पार्टी के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। लेकिन देश हित में आबादी पर नियंत्रण और समान नागरिक संहिता आज इस देश की जरूरत है। वर्तमान समय में सभी भारतवासियों के लिए समान नागरिक संहिता की आवश्यकता बन गई है। भारतीय नागरिक, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा समान नागरिक संहिता से ही होगी...

अब मैं बहुत प्रसन्न हूं। मुझे अपने को प्रसन्न कहने पर आप जानता हूं बहुत दुखी होंगे। क्योंकि आज हम दूसरों का बुरा होते देख गदगद हो सकते हैं, पर जो हमसे कोई कहे कि वह प्रसन्न है तो हम बहुत दुखी हो जाते हैं। सही ही है। हमारे अतिरिक्त और किसी को यहां प्रसन्न रहने का कोई अधिकार नहीं। मेरी प्रसन्नता का कारण है कि अब मैंने पूरी तरह मान लिया है कि मैं नालायक हूं। सिर से लेकर पांव तक। कुछ लोग अपने को पूरा नालायक नहीं मानते। आधा अधूरा नालायक मानते हैं। ऐसे लोग न नालायकों के बीच गिने जाते हैं, न लायकों के बीच। अच्छा लगता है कि जब हमें कोई नालायक घोषित करे उससे प

कोरोना महामारी के दौर में विश्व स्वास्थ्य संगठन की मनवतावादी केंद्रीय भूमिका दिखनी चाहिए थी, लेकिन वह महामारी फैलाने वाले दोषी देश चीन के समर्थन में खड़ा नजर आया। अलबत्ता सुरक्षा परिषद की भूमिका वैश्विक संगठन होने की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाती है...

पोर्न फिल्में या वेब सीरीज देखने की आदत से बच्चों का मानसिक और शारीरिक पतन हो रहा है। वे इनके पीछे पागल से हो रहे हैं। मस्तिष्क में सोचने की क्षमता कम हो रही है। उनमें एक नशा सा छा रहा है। याददाश्त कम होने लगी है और रेप हो रहे हैं...

कई बार सोचता हूं कि क्या यह महज़ संयोग है कि हर साल हिन्दी पखवाड़ा और पितृ पक्ष साथ-साथ आते हैं। हिन्दी दिवस हर वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है और पितृ पक्ष लगभग इसी के साथ शुरू होता है। हर साल की तरह इस बार भी हिन्दी दिवस 14 सितम्बर को मनाया गया और हिन्दी पखवाड़ा 28 सितम्बर तक चला। इस बार पितृ पक्ष 17 सितम्बर से 2 अक्तूबर तक चलेगा। पितृ पक्ष की तिथियां बदलती रहती हैं। पर हिन्दी दिवस हर साल नियत तिथि को ही आता है और पूरे 14 दिन तक चलता है। इस दिन विभिन्न स्पर्धाओं, प्रतियोगिताओं, सम्मेलनों और वार्ताओं का आयोजन होता है। आमंत्रित अतिथि गण, साहित्यकार, अधिकारी और प्रतिस्पर्धी आयोजन के बाद जम कर जीमते हैं और हिन्दी को जन-जन में लोकप्रिय बनाने के अलावा सरकारी दरबार में किस तरह

हम उम्मीद करें कि हाल ही में 19 सितंबर को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बंदरगाहों से निर्यात बढ़ाने के लिए जो महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं, उनके कारगर क्रियान्वयन पर शुरू से ही ध्यान दिया जाएगा। हम उम्मीद करें कि वधावन देश के सबसे बड़े कंटेनर बंदरगाह के रूप में भारत के समुद्री व्यापार की नई धुरी बनेगा और भारत की आर्थिकी मजबूत होगी...

पिछले दो महीनों में मेरी सरकारी नौकरी के सफर में साथी रहे दो सेवानिवृत्त कर्मियों के महाप्रयाण के बाद एकाएक हिंदी और पहाड़ी के साहित्यकार डा. प्रत्यूष गुलेरी के देहावसान की खबर मिली। कुछ साल पहले उनके बड़े भाई डा. पीयूष गुलेरी अनदेखी यात्रा पर निकले और उनके पीछे-पीछे डा. प्रत्यूष गुलेरी भी बड़े भाई की राह पर निकलने का मोह न संवरण कर पाए। इस दौरान डा. प्रत्यूष ने अपने कई परिजनों का साथ खोया। लेकिन बेहद संवेदनशील और स्नेही डा. प्रत्यूष बड़े भाई और मार्गदर्शक तथा माता के जाने के आघात को इतना भीतर तक महसूस करते थे कि स्वयं का भरा-पूरा परिवार होने के बावजूद अपने आपको अकेला मानने लगे थे। शायद उनका यही अकेलापन उनकी साढ़े तीन हाथ की देही को भीतर से खोखला करता गया। फिर एक दिन अपने बेटे के पास चंडीग

पिछले कुछ समय से भगवान का मन स्वर्गलोक की नीरसता में रम नहीं रहा था। दुनिया के सारे साधु-सज्जन ऊपर क्या पहुंचे कि भगवान को जॉबलेस होने का खतरा पैदा हो गया। अपनी भूमिका में व्यावहारिक विस्तार की ख्वाहिश से उन्होंने मंथन किया कि क्यों न धरती पर मनुष्य अवतार में विचरण किया जाए। दुनियावी हलचल में भगवान की रुचि परवान चढ़ी तो वह एक दिन अचानक मनुष्य अवतार में पहुंच गए। धरती पर उन्हें एक माकूल प्रोफेशन की