वैचारिक लेख

राजीव बिंदल अध्यक्ष, हि. प्र. भाजपा जन्म तिथि पर अंबेडकर जी को नमन करते हुए हर्ष हो रहा है। उनका जीवन विशाल एवं विराट है। चिंतन, अध्ययन और लेखन शोधपरक है, उनका संघर्ष अतुलनीय है, उसके आयाम भी बहुत हैं, विस्तृत हैं। छात्र अवस्था में भीमराव जी चित्रपट नहीं देख सके। वीर अर्जुन की तरह

वीरेंद्र कश्यप पूर्व सांसद यदि हम 19वीं एवं 20वीं सदी या इससे पूर्व की भारतीय धार्मिक, सामाजिक व्यवस्था का अवलोकन करें तो वह असमानताएं, ऊंच-नीच, अस्पृश्यताएं तथा गरीबी से भरपूर रही है। इसी दौर में कई सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक आंदोलन चले जिसमें कई पुरोधा अग्रणी नेता के रूप में उभरकर सामने आए।  राजनीतिक आंदोलन

अजय पाराशर लेखक, सूचना एवं जन संपर्क विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय, धर्मशाला में उप निदेशक हैं हमें समझना होगा कि सोशल डिस्टेंसिंग और बॉयकाट अर्थात बहिष्कार दोनों में अंतर है। मरीज की मनोभूमि पर किसी भी ऐसी बीमारी का सीधा असर पड़ता है, जिससे समूचा समाज प्रभावित होता है या जिसे समाज में हेय समझा

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री कोरोना प्रकोप और लॉकडाउन के बीच सरकार ने अभी जो राहत दी है वह सराहनीय है, लेकिन उद्योग कारोबार तथा कृषि व सर्विस सेक्टर में रोजगार बचाने के लिए वित्त मंत्री को और अधिक खुले हाथों से राहत देनी होगी… हाल ही में 2 अप्रैल, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक बिना पूछे ही व्हाट्सऐप गु्रप में डालकर वह पूछ रहे थे कि कोरोना पर कुछ लिखें। दूसरे ने एक लेख पेल कर कहा कि जरूर पढं़े और तीसरे महाशय ने केजरीवाल पर दोष मढ़ कर मुझे ही जलील कर दिया, गोया कि मैं भी इस दौर में किसी का भक्त हो

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार तबलीगी जमात को इस प्रकार घिरते देख कर शरद पवार ने उसको देश के मुसलमानों के साथ जोड़ना बेहतर समझा होगा। शरद पवार को इससे बचना चाहिए था, लेकिन वे बच नहीं पाए। उनकी रणनीति दोहरी है… शरद पवार का कहना है कि कोरोना संक्रमण को किसी मजहब से

कर्नल (रि.) मनीष धीमान स्वतंत्र लेखक आज पूरा विश्व कोरोना जैसी भयानक महामारी से ग्रसित है। हमारे देश को भी पिछले कुछ दिनों से बंद रखा गया है, जिसमें सिर्फ  जरूरत की चीजों के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति है। इस समय अलग-अलग एक्सपर्ट अपनी राय दे रहे हैं कि जैसे ही कोरोना संकट

सुखदेव सिंह लेखक, नूरपुर से हैं सेवानिवृत्ति का समय नजदीक होने के बावजूद कुछेक बुजुर्ग पुलिस कर्मचारी प्रदेश को कोरोना मुक्त बनाने में लगे हैं जो गर्व की बात है। पुलिस कर्मचारी बिना तनाव लिए इस आपदा पर नियंत्रण पाने के लिए सीना ताने तैनात रहें, इसलिए जरूरत है कि उनसे तीन शिफ्टों में सेवाएं

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार दिल्ली में हाल की घटनाओं ने, जहां मुस्लिमों ने पहले शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ  विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया और बाद में निजामुद्दीन मस्जिद में इकट्ठा होकर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया, हिंदू-मुस्लिम एकता में सबसे बड़ी दरार पैदा की, एक ऐसी दरार