वैचारिक लेख

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक सरकार को पकड़ने की बड़ी प्रॉब्लम है, यदि उसे अपराधी मिल जाए तो, वह पकड़ ले और उसे फटाफट दंडित भी कर दे, लेकिन अपराधी है कि पुलिस से आखं मिचौनी खेलते रहते हैं और पकड़ में आते नहीं। एक शहर में घटना होती है और पूरे राज्य की पुलिस अपराधियों

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार मोदी की कल्पनाशीलता और वाक्पटुता का आलम यह है कि विपक्षी दलों को कुछ भी सूझता ही नहीं और मोदी विकेट पर विकेट लिए जा रहे हैं या रन पर रन बनाए जा रहे हैं। विपक्षी दलों के विकेट गिर रहे हैं और मोदी रन लेते चल रहे हैं। नोटबंदी एक

प्रो. सुरेश शर्मा लेखक, नगरोटा बगवां से हैं सात जनवरी, 2020 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया सामूहिक दुराचार एवं हत्या के मामले में चार अभियुक्तों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया पूर्ण कर ‘डेथ वारंट’ जारी किया। अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी चारों अभियुक्त जज साहब से अपनी जान की भीख मांगते

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com आज भी यही हाल है। बैतलबा डाल पर, राजा विक्रमादित्य निराश और बाकी रह जाता है आरण्य रोदन। आजादी के 72 वर्ष गुजर जाने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई। नारों और जुमलों के पंखों पर तैरती हुई इच्छाएं जो अब पूरे होने का शुबहा भी नहीं देती। तुम यक्ष हो

लाभ सिंह लेखक, सिराज से हैं वर्तमान सरकार के जनमंच कार्यक्रम और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की शुरुआत देशभर में एक अनूठी पहल मानी जा रही है। इससे जहां एक तरफ  आम जनता और सरकार के बीच सीधा संवाद स्थापित होने से जन समस्याओं के निपटान में तेजी आई है, वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों की सुस्ती दूर

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com पता नहीं मेरे आसपास के हथीले दांती सज्जनों को इन दिनों और भी पता नहीं क्या-क्या हो गया है कि वे मन न होने के बावजूद मेरा मन रखने के लिए मुझे शुभकामनाएं भी देते हैं तो डरी सहमी सी कई दिनों से बिन घास खाई भेड़ की मींगनों सी शुभकामनाएं देते

डा. वरिंदर भाटिया पूर्व कालेज प्रिंसिपल दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। इसकी शुरुआत दादा साहब फाल्के के जन्मशताब्दी वर्ष 1969 में हुई थी। केंद्र सरकार की ओर से यह पुरस्कार किसी व्यक्ति विशेष को सिनेमा क्षेत्र में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है। प्रशंसकों के

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक बीमार को भूख नहीं लग रही हो तो उसे घी देने से उसकी तबीयत और बिगड़ती है, सुधार नहीं होता है। अतः पहले परीक्षण करना चाहिए कि मंदी का कारण क्या है? और तब उसके अनुकूल दवा पर विचार करना चाहिए। निवेश और खपत का सुचक्र और कुचक्र दोनों ही स्थापित

चंद्रशेखर लेखक, मंडी से हैं सन् 1973 में इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (आईजीएमसी) शिमला से सीढ़ी दर सीढ़ी शुरू हुआ यह सफर एम्स, बिलासपुर तक पहुंच चुका है जो कि पिछले 43 वर्षों के इतिहास में अन्य पहाड़ी राज्यों की तुलना में काफी शानदार प्रदर्शन है जिसके लिए पूर्व सरकारें व उनमें शामिल बेहतरीन नेतृत्व