वैचारिक लेख

प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल लेखक, शिमला से हैं पद्मश्री सुभाष पालेकर द्वारा विकसित ‘प्राकृतिक खेती’ विधि जिसे ‘शून्य लागत प्राकृतिक खेती’ नाम से देश-विदेश में ख्याति प्राप्त हुई है, खेती लागत को न्यूनतम करती है। देश भर में 40 लाख से अधिक किसानों द्वारा इसे अपनाना, इस वाक्य को इंगित करता है कि यह विधि

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com दिसंबर के दिनों में हम सोंधी धूप का इंतजार करते हैं, लेकिन धूप की जगह होती है बर्फबारी, पड़ती है घनी सर्दी। बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं या हवाई मीनारों में बंद बड़े साहबों की आंखों में वे अपने लिए पहचान की परछाइयां तलाशती है, लेकिन वहां परछाइयां तो क्या, हीटर की दुत्कार लिखी रहती

डा. अजय खेमरिया स्वतंत्र लेखक सत्ता की बैसाखियों पर टिके इस भारत विरोधी वर्ग का असली चेहरा आजकल हमें देश की सड़कों पर दिखाई दे रहा है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में जिस हिंसात्मक आचरण को हवा भारत के इन वाममार्गी बुद्धिजीवियों ने दी है इसे समझने के लिए हमें इनके सुविधाभोगी

उमा ठाकुर लेखिका, शिमला से हैं लोक साहित्य में लोक जीवन से जुडे़ पहलुओं को लोक गीतों के माध्यम से बखूबी उजागर किया जाता है। लोक संस्कृति एक अथाह सागर है। ढोल की थाप और लोक गीतों की स्वरलहरियां जीवन में उमंग भर देती हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे हिमाचल में

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com एक हैं लोकतंत्र के नव्वाब/ कल सरकारी गोदाम से/ अंधेरे में कानून की आंख बचा चुराकर लाए दो किलो सड़ा स्वदेशी प्याज! नव्वाब होकर सबको खरीदा बता उसे डाइनिंग टेबल पर सजाए/ गुलाब जामुन, कलाकंद पतीसा, लड्डू, पेड़े डस्टबिन गिराए/ प्याज की रखवाली को जैड सुरक्षा कर्मी मंगवाए/ उस वक्त नव्वाब का

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक आईएलएफएस जैसी ही दूसरी विशालकाय कंपनी द्वारा मंदाकिनी नदी पर एक जल विद्युत परियोजना बनाई जा रही है। इस परियोजना का अध्ययन करने से पता लगा कि कंपनी द्वारा इस परियोजना को एक सहायक कंपनी के नाम से बनाया जा रहा है। इस प्रकार की सहायक कंपनियों को सब्सिडियरी कहा जाता

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं पंडित जॉन अली बचपन से ही तितलियां उड़ाने में माहिर थे। जब छोटे थे, ढेर सारी तितलियां पकड़ते, थोड़ी देर उनसे खेलते, बतियाते और फिर उड़ा देते। उनकी इस अदा से भले ही उनके अम्मी-अब्बू परेशान थे, लेकिन अपने दोस्तों में वह खूब वाहवाही लूटते। जब बड़े हुए तो

सुनील वासुदेवा लेखक, शिमला से हैं प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में पिछली सरकारों के समय अभूतपूर्व विकास हुआ है। यह सरकार भी शिक्षा के विकास के लिए प्रयासरत है। आकड़ों के अनुसार प्रदेश में शिक्षा के लिए 15,556 सरकारी स्कूल, 3252 निजी स्कूल व लगभग 139 ड्रिगी कालेज छात्र-छात्राओं को शिक्षा प्राप्त करने में

निर्मल असो स्वतंत्र लेखक उसने अचानक मुझे पहचान लिया, हालांकि मुझे मालूम नहीं था कि वह इस कद्र मुझसे नाता जोड़ लेगा। नाम से भारत और कथन की गैरत में वह सगा लगा। यकीन नहीं हुआ कि ‘भारत’ मेरे करीब आकर निमंत्रण दे रहा है और यह कह रहा है कि आज से मैं सौ