वैचारिक लेख

बीरबल शर्मा लेखक, मंडी से हैं   लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली, सड़कों की दुर्दशा, पानी की निकासी, खतरनाक जगहों पर क्रैश बैरियर नहीं हैं। आधुनिक बीम रेलिंग भी ऐसी-ऐसी जगहों पर लगी है, जहां पर इसकी जरूरत कम है, मगर जहां होनी चाहिए, वहां पर नहीं है। अधिकारी कार्यालयों का मोह छोड़ कर फील्ड

गुरमीत बेदी साहित्यकार मेरे घर के आसपास कोई कुआं नहीं है। दूर-दूर तक कोई दरिया भी नहीं। इसलिए मेरा नेकी करने का बिलकुल भी मन नहीं करता। जैसे जनता से किए वादे पूरे करने का नेता का मन नहीं करता। नेता को लगता है कि अगर वादे पूरे कर दिए, तो नेताओं की बिरादरी उन्हें

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले घोषणा की थी कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो वह प्रत्येक किसान को 72000 रुपए सालाना देंगे। यह उस गरीब किसान की भावना को पकड़ने की अच्छी सोच है, जिसे ऋण और वंचना की बदतर

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक आज प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाली प्ले फील्ड बनकर तैयार हैं, मगर प्रदेश में खेल वातावरण के अभाव में खेल का यह स्तरीय ढांचा आज लावारिस बन गया है। धर्मशाला, हमीरपुर तथा बिलासपुर में आज तीन सिथेंटिक ट्रैक हैं, मगर

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार जब समस्याएं नई हों, तो समाधान भी नए होने चाहिएं, पुराने विचारों से चिपके रहकर हम नई समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते। दुनिया बदल गई है और हर पल बदल रही है। इसके लिए हमें नए विचारों का स्वागत करना होगा। समस्याओं का हल नए सिरे से खोजना होगा और

सुरेश सेठ साहित्यकार पूरे देश में भूख, बेकारी, कर्जदारी और बीमारी ने ऐसी हायतौबा मचा रखी है कि यहां लोग खुलकर हंसना पहले ही भूल चुके थे। पहली वजह इस मुस्कराने की यह कि उसे बिना किसी दिक्कत दलाल को पैसे खिलाए और टिकट चैकर की चिरौरी किए बिना वहां जाने के लिए रेल की

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं इन नदियों व खड्डों के किनारों पर कई होटलों के कचरे तथा औद्योगिक इकाइयों व जहर उगल रही फैक्टरियों से उत्सर्जित रासायनिक अपशिष्टों से नदी-नालों के पानी की स्वच्छता सर्वाधिक प्रभावित हुई है। औद्योगिक क्षेत्रों के नजदीक बह रही नदियों के विषाक्त पानी से कई जलचर जीवों के

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने के लिए बहुत जोर लगा रहे हैं। सरकारी एजेंसियां एक मजबूत प्रधानमंत्री की सार्वजनिक रूप से व्यक्त की गई इच्छा पूरी करने के लिए एक-दूसरे से होड़ में हैं। परंतु लोग इस विचार के दीर्घकालिक लाभों और हानियों को न तो

कंचन शर्मा लेखिका शिमला से हैं हैरत यह भी है कि हिमाचल में सड़कों के जो खस्ताहाल हैं, उनके बारे में कोई नीति, दिशा-निर्देश या सख्ती की बात नहीं हो रही, जबकि अन्य कारणों के साथ बस दुर्घटनाओं के लिए खराब, बेतरतीब व बिना पैरापिट की सड़कें भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। कितनी ही