वैचारिक लेख

हरि मित्र भागी सकोह, धर्मशाला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में देश के भविष्य को लेकर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार आया है, तो उस पर चिंतन करना होगा कि यह कैसे संभव है। चुनाव पर जो खर्च होता है, वह एक मजदूर से लेकर एक संपन्न वर्ग की कमाई है। चुनाव

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार बेशक गरीबों तक पहुंचाने के लिए कल्याणकारी योजनाओं का निर्माण होता रहा है तथा हम आगे की ओर कछुआ चाल से बढ़े हैं। कुछ अवसरों पर हमने मनरेगा से धन का आवंटन किया जो कि अस्थायी काम पैदा करता है तथा वास्तव में कोई काम किए बिना ही जाली

आशीष बहल लेखक, चुवाड़ी, चंबा से हैं वर्तमान युग में जहां मनुष्य अपने स्वास्थ्य के लिए चिंतित रहता है, तो वहीं स्वस्थ जीवन के लिए कई प्रकार के साधन उपलब्ध करवाने का दावा किया जाता है। इनमें से सबसे अधिक प्रभावशाली है भारत की प्राचीन संस्कृति और पद्धति- ‘योग’। योग शब्द सुनते ही हमारे दिमाग

अदित कंसल लेखक, नालागढ़ से हैं 11 दिसंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को ‘विश्व योग दिवस’ के रूप में मान्यता प्रदान की है। 21 जून वर्ष का सबसे लंबा दिन है। प्रकृति, सूर्य व उसका तेज इस दिन सबसे अधिक प्रभावी रहता है। 21 जून, 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय

स्वतंत्र लेखक रामविलास जांगिड़ चमचासन को सभी आसनों का कोतवाल कहा गया है। इस आसन को करते समय दोनों हाथ बाहों तक आपस में जोड़ लें। गर्दन और कमर को हमेशा ही झुकाए रखें। बुद्धि नाम की चीज को जमीन में गाड़ दें। दिमाग को हमेशा के लिए खूंटी पर टांग दें। घुटने हमेशा झुके-झुके

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार हम सब वजीर बन गए हैं। मंत्रीगण, सांसद, पार्टी के पदाधिकारी, मीडिया, जज, चुनाव आयोग,  जनता यानी हम सब, जी हां, हम सब राजा के वजीर हो गए हैं। सच से हमारा कोई लेना-देना नहीं, देशभक्ति का नाटक चल रहा है और हम सब उसमें अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं। राजा

सतपाल सीनियर रिसर्च फेलो, अर्थशास्त्र विभाग, एचपीयू हमने पूरे देश में बड़े-बड़े योग संस्थान व विश्वविद्यालय तो खोल दिए, परंतु प्रारंभिक स्तर पर कोई भी संस्थान नहीं खुल पाया है। हिमाचल प्रदेश में तो कोई भी संस्थान ऐसा नहीं है, जहां योग शिक्षा होती हो। एक अपवाद केवल हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का है, जहां पर

नवेंदु उन्मेष वरिष्ठ पत्रकार यमराज अपने राजदरबार में कई दिनों से बेचैन नजर आ रहे थे। उनकी रात की नींदें गायब हो गई थीं। इसी बीच उनकी कैबिनेट के एक मंत्री ने उनसे पूछा महाराज मैं देख रहा हूं कि आप कई दिनों से बहुत बेचैन नजर आ रहे हैं। आखिर आपकी बेचैनी का कारण

डा. वरिंदर भाटिया पूर्व कालेज प्रिंसीपल   मसौदे में पब्लिक फंडिंग को दोगुना करते हुए इसे जीडीपी के छह प्रतिशत तक करने का सुझाव है। साथ ही शिक्षा पर कुल सार्वजनिक खर्च को 10 फीसदी से बढ़ा कर 20 फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है। चूंकि ज्यादातर खर्च राज्य को वहन करना होगा, ऐसे