वैचारिक लेख

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं अगर सभी को न्यायालय से बिना किसी पक्षपात, भ्रष्टाचार व कोई अन्य समस्या के न्याय मिल जाता है, तो इससे समाज में अच्छा, ईमानदार व सुरक्षित जीवन सुनिश्चित हो जाता है। यह सर्वाधिक मूलभूत मूल्य है तथा यदि हम प्राचीन शिक्षाओं को देखें

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं मिल्खा सिंह, विजय कुमार, अनंत राम जैसे दिग्गज सैनिक ओलंपियन असली हीरो हैं, तो सरकार इन्हें सेना का ब्रांड एंबेसेडर क्यों नहीं बनाती। जिन सैनिक खिलाडि़यों ने देश और राज्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई हो और साथ ही मातृभूमि की रक्षा में भी अग्रणी भूमिका निभाई हो, ऐसे

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं बिहार और उत्तर प्रदेश उप चुनावों में भाजपा की हार से उत्साहित विपक्ष गाल बजा रहा है, लेकिन जनता की भलाई के लिए कोई वैकल्पिक योजना या नीति का खुलासा नहीं कर रहा। क्यों? क्योंकि उसके पास कोई योजना है ही नहीं। समस्या जनता की है।

राजेश शर्मा लेखक, शिमला से हैं पहाड़ी रास्तों पर वाहन के चलने की गति निर्देशित होनी आवश्यक है। दूसरा कारण, बसों में ओवरलोडिंग को भी दुर्घटनाओं का मुख्य कारण माना जाता है। ड्राइविंग लाइसेंस बनाने में हो रहे गोरखधंधे को समाप्त करके ड्राइविंग प्रशिक्षण के क्षेत्र में सरकार को आगे आने की आवश्यकता है। यदि

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में 90 फीसदी सड़क हादसे मानवीय चूक के चलते होते हैं। ज्यादातर मामलों में कॉमन ड्राइविंग सेंस की कमी, रैश ड्राइविंग, नशा करके ड्राइविंग, लापरवाहीयुक्त ड्राइविंग, ओवरलोडिंग और यातायात नियमों की अवहेलना इत्यादि कारणों से दिन-प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है… हिमाचल

डा. अश्वनी महाजन एसोसिएट प्रोफेसर, पीजीडीएवी कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय वास्तव में यदि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय समझौतों का अनुपालन करते हुए, देश के उद्योगों का संरक्षण और संवर्द्धन करने में सफलता प्राप्त करती है तो यह वास्तव में अभिनंदनीय प्रयास होगा। दुर्भाग्य का विषय यह है कि वे लोग जो भारत सरकार पर संरक्षणवादी नीति अपनाने

योगेश कुमार गोयल लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं इन दिनों देशभर में परीक्षाओं का दौर चल रहा है और विडंबना यह है कि परीक्षाओं के इस दौर में हमें बार-बार परीक्षाओं में पेपर लीक अथवा अन्य प्रकार की धांधली की खबरें सुनने को मिल रही हैं और परीक्षा देने वाले छात्र ऐसे में स्वयं को ठगा

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं सामान्य परिस्थिति में विदेशी निवेश में वृद्धि का अर्थ देश में नईं फैक्टरियों की स्थापना होता है, जैसे सुजूकी ने गुरुग्राम में कार बनाने की फैक्टरी लगाई। परंतु इस समय सीधा विदेशी निवेश नई फैक्टरी लगाने में कम और पुरानी फैक्टरियों को खरीदने में ज्यादा आ रहा

शरद गुप्ता लेखक, शिमला से हैं प्रकृति की बनाई इस सुंदर व्यवस्था को बनाए रखने में क्यों न हम भी अपना सहयोग करें? सुभाष पालेकर ने वर्ष 1990 में भारत में शून्य लागत खेती की संकल्पना की थी। इस क्षेत्र में कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा