(डा. भरत झुनझुनवाला, लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं) अमरीका की विशेषता समाप्त हो चुकी है और उनके वेतन दबाव में हैं। अमरीका को चाहिए कि अपने नागरिकों के समक्ष इस कटु सत्य का खुलासा करे और अपना जीवन स्तर घटाने को प्रेरित करे, जिससे अर्थव्यवस्था अपनी सामान्य चाल पर वापस आए… अमरीकी अर्थव्यवस्था कमजोर
(हरि सिंह ठाकुर,लेखक, हरिपुर, सुंदरनगर, जिला मंडी से सेवानिवृत्त डीएफओ हैं) हिमाचल में भी पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता को समझते हुए पहल की है। पौधारोपण योजनाओं पर भी सरकार का विशेष ध्यान है, जल्दी ही हिमाचल, भारत का प्रथम कार्बन-न्यूट्रल प्रदेश बन सकता है… पर्यावरण भू आवरण है, जिसमें वायु, जल, भूमि, पहाड़, अजैविक तथा
(डा. वेद प्रताप वैदिक, लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं) इस बार ट्यूनीशिया ने दिखा दिया कि अरब और अफ्रीकी नौजवान अब सिर्फ जूठन पर जिंदा रहने वाला नहीं है। उसे अपना पेट भरने के साथ-साथ अपने आत्म सम्मान और नागरिक अधिकार की भी पूरी चिंता है… क्या यह संभव है कि एक
(खुशवंत सिंह, लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं) एक बात जो मुझे परेशान करती रहती है, वह यह कि इन सर्दियों में दिल्ली, अमृतसर और चंडीगढ़ जैसे मैदानी इलाके शिमला से ज्यादा ठंडे थे, जो समुद्रतल से छह हजार फुट ऊपर है। और बठिंडा तो शून्य तापमान में जम ही गया था… मुझे दिल्ली में सर्दी का
(नरेंद्र कुमार, लेखक, कार्यालय खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी कांगड़ा में अधीक्षक ग्रेड-दो हैं।) मुख्य रूप से देखने वाली बात यह है कि जब सरकार को लेकर प्रशासन तक यह जाहिर है कि वास्तव में ही भ्रष्टाचार हुआ है, तो पता लगते ही दोषी को कारावास में क्यों नहीं भेज दिया जाता है, उसकी सारी संपत्ति
(भूपिंदर सिंह, लेखक, पेनल्टी कार्नर खेल पत्रिका के संपादक हैं) अगर कोई महाविद्यालय सच में ही किसी खेल को ऊंचे स्तर पर ले जाकर ट्राफी जीतना चाहता है, तो उसे अच्छे खिलाडि़यों को अपने यहां दाखिला देकर पूरा वर्ष उनके प्रशिक्षण का उचित प्रबंध करना चाहिए, तभी वे पोडियम पर सबसे ऊपर चढ़कर विजेता ट्राफी
(प्रो. एनके सिंह, लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं) भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के विरोध की आवाज कुछ समय तक उठती है और कार्रवाई बड़ी धीमी रफ्तार से चलने के कारण दोषी आराम से बच निकलते हैं… ऐसा लगता है कि देश में जो भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए थे, वे काफी
(यादविंदर ‘विंदरू साईवाला’, लेखक, सुंदरनगर से स्वतंत्र पत्रकार हैं) पुलिस को हाईटेक तथा इसके जवानों की संख्या बढ़ाना जहां समय की मांग है, वहीं सुरक्षा हेतु भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ‘हिमाचल रेजिमेंट’ के गठन के लिए उपयुक्त समय है… सन् 1990 से हिमाचल प्रदेश चीन-पाक के साझे स्वार्थ की भयानक जुगलबंदी के चलते संयुक्त
(लेखक, रविंद्र गिन्नौरे पर्यावरण ऊर्जा टाइम्स के संपादक हैं)- अधिक दूध की मांग के आगे नतमस्तक होते हुए भारतीय पशु वैज्ञानिकों ने बजाय भारतीय गायों के संवर्द्धन के विदेशी गायों व नस्लों को आयात कर एक आसान रास्ता अपना लिया। इसके दीर्घकालिक प्रभाव बहुत ही हानिकारक हो सकते हैं। आज ब्राजील भारतीय नस्ल की गायों