डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार वह पुराने वाले भारत के लिए छटपटा रहे हैं। इसमें कोई बुरी बात नहीं, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह कौन सा पुराना वाला भारत चाहते हैं? कांग्रेस राज वाला भारत या उससे भी पहले वाला अंग्रेजी राज वाला भारत या फिर उससे भी पहले मुगलों के

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार पिछले कुछ साल से भारत में कुछ स्वार्थी तत्त्वों द्वारा यह प्रचार किया जा रहा है कि वे भारतीय जिनके पुरखे सैकड़ों साल पहले इस्लाम पंथ में शामिल हो गए थे, बैंकों में अपना पैसा जमा न करवाएं और न ही वहां पूंजी निवेश करें। उनका कहना है कि

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   सड़क पर कोई बंगाली जय श्री राम कहता हुआ मिल गया, तो ममता दीदी ने अपनी कार से उतर कर उन्हें सबक सिखाने की धमकियां देनी शुरू कर दीं। इफ्तार पार्टियों का आयोजन कर वहां अवैध बांग्लादेशियों को आश्वस्त करना शुरू किया कि जो हमसे टकराएगा, वह चूर-चूर

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार गुरु नानक देव जी सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुगों की चर्चा करते हुए कहते हैं कि प्रत्येक युग में एक-एक वेद प्रमुख था, लेकिन कलियुग की तो गति निराली है। कलियुग में अथर्ववेद की प्रमुखता थी, लेकिन इस कालखंड तक आते-आते भारत का परिदृश्य बदल गया।  नीले वस्त्र पहन

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इस बार सुखराम और वीरभद्र सिंह दोनों ही मंडी से भाजपा को उखाड़ने में एकजुट हो गए थे। दोनों को अपने परिवार, पुत्र / पौत्रों के भविष्य की चिंता थी, लेकिन मंडी के लोग इन दोनों परिवारों के पुत्र / पौत्रों का बोझ ढोते-ढोते हलकान हो रहे थे। बहुत

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इस पारिवारिक महल को पहला आघात तो 2014 में ही लग गया था, लेकिन अभी तक इस परिवार को विश्वास था कि यह एक बार फिर भारतीयों को धोखा देने में कामयाब हो जाएंगे और भारत के लोग अपना भाग्य इन के हाथों में सौंप देंगे। सोनिया परिवार को

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   भद्रवाह में वासुकि नाग महाराज का यह मंदिर पता नहीं कितनी बार बना-बिगड़ा, कितनी  बार इसने अपना आकार खोया और पाया, यह कौन कह सकता है । इस क्षेत्र के चप्पे-चप्पे  पर इतिहास बिखरा पड़ा है। जगह-जगह नाग मूर्तियां हैं। जहां मंदिर टूट गए, उनके भग्नावशेष हैं, लेकिन

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार राजीव गांधी ने कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो भूमि हिलती ही है। राजीव गांधी की यह हिलती हुई भूमि दिल्ली में तीन हजार सिखों को लील गई, लेकिन जो बात राजीव गांधी छिपा गए थे, वह यह कि दिल्ली में भूमि खुद नहीं हिली

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार नानक की यात्राएं लोदी शासकों के राज्यकाल में हुई थीं। यह उस समय की तात्कालिक राजनीतिक स्थिति की ओर संकेत तो करती ही हैं, साथ ही यह सांस्कृतिक-सामाजिक स्थिति की ओर भी संकेत है। धर्म का स्थान रुढि़यों, गली-सड़ी परंपराओं ने ले लिया है। पाखंड का बोलबाला है। धर्म के तत्त्व के स्थान पर