डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

ऋषि सुनक को उनकी पार्टी के किसी नेता ने नहीं कहा कि आप मुरारी बापू की कथा में क्यों गए थे? विपक्षी दलों की ओर से नरेन्द्र मोदी पर सबसे बड़ा आरोप यही है कि वे मंदिरों में जाते हैं। सबसे बढ़ कर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए किए गए शिलान्यास

कहते हैं इतिहास बड़ा क्रूर होता है। अंग्रेज आ गए। अशरफ समुदाय जल्दी ही अंग्रेजों के साथ खड़ा हो गया। पहले तो वह केवल देव मंदिरों को ही तोड़ता था, लेकिन उसने भारत माता को ही खंडित करने की रणनीति अपना ली। 1947 में भारत खंडित हो गया। भारतीयों की अपनी सर

एक समय था जब पंडित जवाहर लाल नेहरु ने राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को इसलिए हडक़ा दिया था कि वे कुम्भ में चले गए थे जो भारतीय संस्कृति का पुण्य प्रवाह है। सरदार पटेल को इसलिए अपमानित होना पड़ा था कि उन्होंने सोमनाथ के मंदिर को पुन: बनाने का प्रयास किया था। डा. राजेन्द्र प्रसाद के तो इस अवसर पर दिए गए भाषण का ही सरकारी आकाशवाणी ने बहिष्कार कर दिया था। वे दिन थे जब भारत पर इंडिया का राज था। लेकिन दिन बदले। भारत स्वयं ही जागृत हो गया। कभी सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा था, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी। भारत जाग गया है। इसलिए इंडिया कसमसा रहा है...

मणिपुर में मैतेयी और कुकी समुदाय को लेकर पिछले दो महीनों से भी ज्यादा समय से विवाद चल रहा है। यह विवाद 3 मई को शुरू हुआ था। यह विवाद हिंसक हो गया है, इसलिए दोनों समुदायों के सौ से भी अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

अंग्रेजों की ओर से निश्चिंत होकर अब रणजीत सिंह ने अपना सारा ध्यान एकीकरण की ओर लगाया। उसने अपनी सेना के परंपरागत स्वरूप को बदलकर आधुनिकीकरण किया… विशाल सप्त सिन्धु क्षेत्र अपने आप में पूरे पश्चिमोत्तर भारत को समेटे हुए है। बस इतना ध्यान रहना चाहिए कि पश्चिमोत्तर भारत से अभिप्राय 15 अगस्त 1947 के

2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अकाली दल ने भाजपा से अपने संबंध तोड़ लिए। इसलिए भाजपा ने यह चुनाव अपने बलबूते पर लड़ा। वैसे उसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, जिन्होंने चुनाव से कुछ समय पहले ही सोनिया कांग्रेस छोड़ कर पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बना

विपक्षी पार्टियों के लिए यह ‘प्रथम ग्रासे मक्षिका’ वाला प्रसंग है। बाकी पार्टियों में भी हो-हल्ला होने लगा है। सबसे ज्यादा हलचल तो नीतीश बाबू की जेडीयू में है। पटना वाले खेला में नीतीश बाबू ही लालू यादव जी के बेटे तेजस्वी यादव के साथ मिल कर उत्साह से लबरेज थे। बिहार विधानसभा में कुल

लालू ने कहा था कि ‘राहुल बाबू, उम्र बढ़ रही है, दुनियादारी तो चलती रहती है। अब शादी करा लो और घर गृहस्थी बसा लो।’ कहीं इसका यह अर्थ तो नहीं कि राजनीति तुम्हारे बस का खेल नहीं है। अपना परिवार ही बना लो। लालू ने तो यह बात आज कही है, लेकिन लगता है

गीता प्रेस के संस्थापक के लिए यह जरूरी क्यों करार दिया जाए कि गांधी से हर मामले में सहमत होना पहली और अंतिम शर्त है। गीता प्रेस का विरोध करने वाले अब अंतिम हथियार चलाते हैं कि गांधी हत्या के षड्यंत्र में शक की सुई प्रेस के कुछ लोगों पर भी घूम रही थी। सावरकर