डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

वैसे नेहरू भी जानते थे कि इतिहास में यह प्रश्न तो उठेगा ही। इसलिए उन्होंने उन दिनों स्वयं इसका उत्तर देकर स्वयं को स्वयं ही अपराधमुक्त करने का प्रयास किया था। उनका स्पष्टीकरण था कि विभाजन तो रुक सकता था लेकिन उम्र के जिस मोड़ पर हम पहुंच चुके थे, वहां कोई भी अब और

भारतीय जनता पार्टी के लिए तो तिब्बत के प्रश्न की एक ही कसौटी है जिसकी घोषणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक माधवराव सदाशिव गोलवलकर ने 1962 में ही कर दी थी। उन्होंने कहा था कि तिब्बत भारत सरकार की भूल के कारण चीन के फंदे में फंसा है… चीन की मंशा है कि तिब्बत

पंजाब के मुख्यमंत्री राज बहादुर से माफी मांग कर इस प्रकरण को समाप्त करना चाह रहे हैं, लेकिन उसके विपरीत अन्य मंत्री और आम आदमी पार्टी का संगठन राज बहादुर के अपमान को पार्टी की विजय बता रहे हैं। पंजाब के प्रशासन पर बुरी तरह नियंत्रण किए बैठे केजरीवाल इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी धारण

ज़ाहिर है इस प्रकार की घटनाओं से आभिजात्य राजनीतिक दलों में हडक़म्प मचता। कितना कुछ खुल सकता था। बहुत सी याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लम्बित थीं। लेकिन अब उच्चतम न्यायालय का भी निर्णय आ गया है। न्यायालय ने कहा ईडी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत संदिग्धों के यहां तलाशी ले सकती है, उनको

लेकिन देसी मुसलमान लडक़ी से विवाह करने में इसलिए एतराज नहीं है क्योंकि उस लडक़ी से जो संतान पैदा होगी वह सैयद या तुर्क ही कहलाएगी। लेकिन यदि सैयद लडक़ी देसी मुसलमान लडक़े से विवाह करवा लेगी तो उसकी संतान देसी कुल वंश की हो जाएगी। सैयद या तुर्क यह कैसे बर्दाश्त कर सकता है?

2019 में सरकार ने मलिक के खिलाफ दर्ज केसों को उनकी तार्किक परिणति तक ले जाने का निर्णय किया। ज़मानत रद्द करके मलिक को पुनः गिरफ्तार किया गया। उस मुक़द्दमे में मलिक को न्यायालय ने उम्र कैद की सजा सुनाई। अब मलिक तिहाड़ जेल में बंद है और उसकी पाकिस्तान मूल की पत्नी संयुक्त राष्ट्र

जब मुसलमानों ने हज़रत मोहम्मद के ही नवासों को कर्बला के मैदान में घेर लिया था और उन्हें अमानुषिक यातनाएं देकर मार दिया था, तब उन बेचारों ने कौनसी ऐसी क्रिया कर दी थी जिसकी प्रतिक्रिया में उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा था? उनका कसूर केवल इतना ही था कि वे मुसलमान शासकों

शिव सेना के विधायकों ने ठीक ही कहा कि बाला साहिब ठाकरे ने हिंदुत्व के जिस सनातन मार्ग पर यात्रा प्रारंभ की थी, उनके पुत्र ने सत्ता मोह में उसे त्याग दिया। यह लड़ाई सोनिया गांधी के वैचारिक मंथन से सनातन मार्ग की रक्षा करने की है। सोनिया गांधी का संगठन किसी भी तरह भारतीय

भारत ने ठाकरे राजवंश का सद्य आरोपित पौधा उखाड़ दिया और वहां विचार पूंजी को लेकर राजवंशियों से प्रश्न पूछने शुरू कर दिए तो पूरा राजवंश ‘वर्षा’ छोड़कर मातोश्री में चला गया। और अब द्रौपदी मुर्मू भाजपा की ओर से भारत के राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी होंगी। ओडीशा के सुदूरस्थ मयूरगंज जिला के पिछड़े क्षेत्र