अमेजन की गुस्ताखी

( डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर (ई-पेपर के मार्फत) )

भारत की चेतावनी के बाद भारतीय ध्वज का अपमान करते तिरंगे झंडे सरीखे दिखने वाले पायदान भले ही अमेजन ने अपनी वेबसाइट से हटा दिए हों, पर इतने मात्र से संतोष नहीं किया जा सकता। इस बात की सराहना की जानी चाहिए कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मामला संज्ञान में आते ही कनाडा सरकार और अमेजन को कड़ी चेतावनी देते हुए तत्काल इसे वेबसाइट से हटाने को कहा और अन्यथा स्थिति में अमेजन के किसी भी व्यक्ति को वीजा नहीं देने और पहले से वीजा प्राप्त लोगों के वीजा रद्द करने की चेतावनी दी। उसका असर भी दिखा। इसके बावजूद राष्ट्रीय ध्वज के अपमान पर इतनी सी कार्रवाई नाकाफी है। यह हमें सोचने को मजबूर कर देती है। दरअसल यह पहला मौका नहीं है। पहले भी भारतीय देवी-देवताओं को अपमानित करते चित्र वाले उत्पादों को बाजार में उतारा जाता रहा है। समय-समय पर उसका विरोध भी किया जाता रहा है। विरोध होने पर तात्कालिक कदम उठा लिए जाते हैं और उसके थोड़े दिनों बाद वहीं ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो जाती है। दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकार के निर्णय या सरकार के कदम को लेकर तो बहस हो जाएगी, पर किसी बुद्धिजीवी ने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई। किसी ने कनाडा की इस संस्था के खिलाफ विरोध दर्ज नहीं कराया। अरे भाई, जब नोटबंदी के खिलाफ या काले धन के पक्ष में आए दिन आंदोलन, प्रदर्शन किए जा सकते हैं, तो देश विरोधी गतिविधियां करने वाली संस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाने में क्यों पीछे रह जाते हैं? राष्ट्रीय सम्मान से जुड़े ऐसे सरोकार आखिर क्यों हमारी सियासत के दायरे से बाहर होते जा रहे हैं? सरकार के छोटे से कदम पर तूफान सिर पर उठाने वाले प्रतिक्रियावादी पता नहीं कहां चले जाते हैं। आखिर हमें राष्ट्रीयता व राष्ट्र के प्रति हमारे दायित्व को भी समझना होगा।