पाठकों के पत्र

भीषण गर्मी में पानी की कमी महसूस की जा रही है। वहीं मानसून आंख मिचौनी कर रहा है। आधा जून बीत जाने के बाद भी बारिश की राह ताकते किसानों को निराशा हाथ लगी है। पूर्वोत्तर राज्यों में इसके विपरीत बाढ़ से कई लोग बेघर हो गए हैं। वहां राहत कार्य जोरों पर है। जल संकट की जिम्मेदारी पूरी तरह कृषि क्षेत्र पर डालना अनुचित है। आज देश में पानी की जितनी खपत है, वहां अनुपात में जलस्रोतों को संरक्षित करने की कोई मजबूत व्यवस्था नहीं है।

पाकिस्तान का जन्म ही झूठ की बुनियाद पर हुआ है। पाकिस्तान भारत के सामने ही नहीं, दुनिया को भी झूठ परोसना अपनी शान समझता है। झूठ पाक की फितरत बन गई है। पहलगाम हमले के बदले आपरेशन सिंदूर की कार्रवाई से पाकिस्तान घबराया हुआ है। भारत की 400 मिसाइलों के साथ सेना की पुरजोर तैयारी से खौफजदा पाकिस्तान हथियार खरीदने की अपील अमरीका से कर रहा है।

इंदौर के राजा और मेघालय की सोनम के हनीमून पर हुई हत्या की घटना न केवल व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि सामाजिक, नैतिक और मानसिक स्तर पर गहरी चिंता पैदा करती है। यह अपराध आधुनिक प्रेम और विवाह संबंधों में फैलते अविश्वास और स्वार्थ की भयावह तस्वीर पेश करता है। साथ ही, मेघालय जैसे पर्यटन स्थलों की छवि भी प्रभावित होती है।

मिलावट अब केवल खाने-पीने तक सीमित नहीं रही, यह हमारे सोच, संबंध और व्यवस्था तक में घुल चुकी है। मूंगफली में पत्थर हो या दूध में डिटर्जेंट, यह मुनाफाखोरी की संस्कृति का विस्तार है। उपभोक्ता की चुप्पी, सरकार की ढील और समाज की ‘चलता है’ मानसिकता ने इसे स्वीकार्य बना दिया है। मिलावट एक नैतिक संकट है, जो धीरे-धीरे शरीर ही नहीं, आत्मा को भी बीमार कर रहा है।

मानव को दान देने की भावना प्रकृति से प्राप्त हुई। सागर बादलों के माध्यम से पृथ्वी को जल का दान करता है, वह बूंद-बंद के रूप में देता है तो नदियां उसे पुन: अथाह जलराशि के रूप में लौटाती हैं। किसान धरती में एक मु_ी अनाज समर्पित करता है तो धरती उसे लहलहाती फसल लौटाती है।

दुनिया के सभी देश व्यापार के लिए एक-दूसरे पर किसी न किसी रूप में थोड़े बहुत निर्भर जरूर हैं। इसलिए अगर कोई भी देश खास तौर पर अमरीका जैसे व्यापार का गढ़ माने जाने वाले देश कोई आयात-निर्यात के लिए फैसला लेते...

हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर हम पौधे लगाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं, लेकिन एक प्रश्न अनदेखा रह जाता है- क्या पिछले साल लगाए पौधे अभी भी जीवित हैं? पौधारोपण अब महज़ एक दिखावे का आयोजन बन चुका है, जिसमें जिम्मेदारी गौण और प्रचार प्रमुख हो गया है। जरूरत है वृक्षपालन की, जिसमें हर पौधा हमारी जि़म्मेदारी बने।

पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण है। इस दिवस पर दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाएं जाते हैं। लेकिन दुनिया को इसके लिए अभियान ही नहीं चलाने चाहिए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीरता से काम भी करना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाने चाहिएं और पेड़ों का संरक्षण करना चाहिए।

भारत में शादियों को लेकर एक सांस्कृतिक उत्सव, पारिवारिक प्रतिष्ठा और भावनात्मक जुड़ाव की भावना जुड़ी होती है। लेकिन जब इस पवित्र रिश्ते को ठगों का व्यवसाय बना दिया जाए, तो यह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समाज के विश्वास की हत्या होती है। हरियाणा के हिसार से सामने आया ताजा मामला इसी सामाजिक बीमारी की खतरनाक तस्वीर पेश करता है, जहां दुल्हन, उसके माता-पिता और पूरा रिश्ता ही नकली निकला। यह घटना सिर्फ एक समाचार