भारत एक गौरवशाली लोकतांत्रिक गणराज्य है, जो इस माह अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। हालांकि, विषय विचारणीय है कि संविधान में उल्लिखित आदर्श और सिद्धांत, जिनका उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करना था, उनके अर्थों को समय-समय पर स्वहित में तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने की प्रवृत्ति भी उतनी ही पुरानी
वैसे तो इस दौर में पूरी युवा पीढ़ी ही भयावह मानसिक व्याधि से विचलित है, इनमें विशेषत: छात्र विचलन गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। हमारे देश में प्रति 100 में 15 से अधिक छात्र आत्महत्या से प्रभावित हो रहे हैं। वे अवसाद, चिंता और आत्मघात से पीडि़त पाए जा रहे हैं। कठिन प्रतिस्पर्धा और पढ़ाई-लिखाई में अनुशासन आदि को लेकर तनाव बढ़ रहा है।
मेरा बिलासपुर के जिलाधीश से सविनय निवेदन है कि एम्स, बिलासपुर में तथा अन्य कई अस्पतालों में, सिवाय पर्ची बनाने के, अन्य काउंटर पर दिव्यांगों तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग से लाइन की व्यवस्था नहीं होती, जिससे दिव्यांगों तथा वरिष्ठ नागरिकों को खऱाब स्वास्थ्य के बीच, कई देर तक सामान्य मरीजों/उनके परिचारकों के बीच लाइन में ख
केंद्र सरकार जल्दी ही वर्ष 2025-26 का वित्तीय बजट पेश करने वाली है। बजट से हर वर्ग के लोगों को यह उम्मीद होती है कि उनके अच्छे दिन लाने के प्रावधान हों। करदाताओं को कर में छूट मिलने की और ज्यादातर लोगों को महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद होती है। आम बजट से आमजन को उम्मीद होती है कि रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली आम चीजें सस्ती हों, बजट महंगाई से राहत दिलाने वाला हो।
पिछले दिनों राजस्थान उच्च न्यायालय ने कोटा में कोचिंग सेंटरों में छात्रों की आत्महत्या के मामलों की सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि कोचिंग सेंटरों में छात्रों की आत्महत्या के लिए सिस्टम नहीं, बल्कि अभिभावक जिम्मेदार हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कुल आत्महत्या
भारत के सभी सरकारी (और निजी) अस्पतालों में डाक्टरों को दिखाने के लिए वरिष्ठ नागरिकों के अलावा एक विशिष्ट, सुनिर्धारित पंक्ति ओक्टोजेनेरियन (80 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक) के लिए भी होना बहुत आवश्यक है।
आज से लगभग आठ वर्ष पहले केंद्र सरकार ने स्टार्टअप योजना को अमल में लाया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़, यानी उद्योगों को और मजबूत बनाना है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ-साथ महिला उद्यमियों को सब्सिडी भी मिलती है।
भाजपा और आम आदमी पार्टी की एक-दूसरे पर बयानबाजी बढ़ती दिखाई दे रही है। केजरीवाल ने झुग्गियों का मुद्दा उछाल कर राजनीति की करवट ही बदल दी है। जिन झुग्गियों पर सियासत की जा रही है, आरोप है कि वहां केजरीवाल ने विकास नहीं करवाया। दस साल की सत्ता की भागीदारी में केजरीवाल ने कोई मदद नहीं की है। केजरीवाल यह भ्रम फैलाक
पाश्चात्य जीवन शैली की नकल में वर्तमान भारतीय संस्कृति इतनी भ्रष्ट व बेईमान हो चुकी है कि भरोसा नाम की कोई चीज ही नहीं बची। भारत सारी दुनिया में विश्व गुरु बनने की राह पर प्रगतिशील है, मगर विकास यात्रा के नाम पर विदेशों का कचरा भी भरा जा रहा है। इस बदलते हुए वातावरण में आदमी का जीवन स्तर पहले से ज्यादा बेहतर हुआ, मगर हम असली-नकली का अंतर करने में फेल हो रहे हैं।