आईएस का खतरा

( देव गुलेरिया, योल कैंप, धर्मशाला )

एक दूरदर्शन चैनल के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि सभी इस्लामिक देश मिल एक इस्लामिक सेना का गठन कर रहे हैं, जिसमें मुख्य भूमिका में सऊदी अरब और पाकिस्तान हैं। इस सेना का मुख्य कमांडर पाकिस्तान के सेवानिवृत्त सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ को नामित किया गया है। इस सेना में 39 इस्लामिक देशों में अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है और आने वाले समय में शायद और भी देश इसमें शामिल होने की इच्छा व्यक्त कर सकते हैं। यह कदम शायद पाकिस्तान के अलग-थलग पड़ने पर लिया गया है, क्योंकि पाकिस्तान को अब एहसास हो गया है कि भारत उसे अलग-थलग करने में पूर्णतया प्रयासरत है। इसलिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब के साथ मिलकर यह कदम उठाया है, क्योंकि ये दोनों देश आतंक को पालने में सक्रिय रहे हैं। राहिल शरीफ अपनी नाक बचाने के लिए भारत के विरुद्ध ऐसा सोचने पर विवश हुआ है, क्योंकि वह भारत के सर्जिकल स्ट्राइक का जवाब देने में असफल सेनाध्यक्ष सिद्ध हुआ था। यह संगठन कितना ताकतवर सिद्ध होगा, क्या इसकी मनोवृत्ति-नीति रहेगी, समय ही तय कर पाएगा। यहां भारत की सुरक्षा के लिए प्रश्नचिन्ह अवश्य है, सरकार-सुरक्षा एजेंसियों को इसके प्रति आवश्यक कर्कश कदम व विचार-विमर्श करना आवश्यक हो गया है। एक तरफ जब क्रिश्चियन सेना हो और दूसरी तरफ इस्लामिक सेना का गठन, तो भारत जैसे हिंदू देश के लिए एक चेतावनी अवश्य है। इस इस्लामिक संगठन को आईएसआईएस के कम नहीं आंका जाना चाहिए। शायद कल को दोनों संगठन एकजुट हो जाएं। अतः सरकार-सुरक्षाबलों को इसके प्रति गूढ़ विचार करना आवश्यक हो गया है। स्थिति विकराल रूप धारण कर ले, इससे पहले इसके संभावित खतरों से निपटने के लिए विशेष होमवर्क करने की जरूरत है।