एग्जाम पास आए …जी घबराए

डाक्टरों की रिपोर्ट, इम्तिहान आते ही हिमाचली बच्चों में बढ़ रहा तनाव

शिमला –  अकसर देखा गया है कि ज्यों-ज्यों परीक्षाओं के दिन नजदीक आते हैं, छात्र-छात्राएं घबराने लगते हैं। मार्च में बोर्ड की परीक्षाएं होनी हैं, जिसे देखते हुए बच्चे एक माह के भीतर पूरा सिलेबस करने की कोशिश में लगे हैं। इस पर अभिभावकों का दबाव भी बच्चों की परेशानी बढ़ा रहा है। हिमाचली बच्चों पर प्रतियोगिताओं का असर कुछ इस कद्र पड़ रहा है कि वे एग्जाम फोबिया की चपेट में आ गए हैं। हर वर्ष हिमाचल में करीब पांच हजार बच्चे डाक्टरों से एग्जाम फोबिया से बचने की सलाह ले रहे हैं। आईजीएमसी में ही औसतन हर तीसरा बच्चे एग्जाम के तनाव के चलते डाक्टरी सलाह के लिए पहुंच रहा है। आईजीएमसी मनोरोग विभाग के चिकित्सक डाक्टर रवि शर्मा का कहना है कि इन दिनों दसवीं और बारहवीं कक्षा के छात्र अकसर तनाव की शिकायत लेकर अस्पताल सलाह लेने के लिए आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो परीक्षा आने से करीब माह पूर्व बच्चों की मानसिक स्थिति पर इतना प्रेशर पड़ता है कि वे अपने रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पाते। खाना-पीना और नींद एकदम कम हो जाती है, जिसका असर शारीरिक स्थिति पर पड़ता है। एग्जाम में अच्छे अंक लेने का प्रेशर बच्चे को हाइपर टेंशन की चपेट में ले रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे का मानसिक संतुलन बिगाड़ने में किसी एक विषय पर गंभीरता से सोच रखना मुख्य कारण है। एक माह पूर्व से ही परीक्षा की तैयारी करने का प्रेशर बच्चों पर हो रहा है। परीक्षाओं के डर से बच्चे कम उम्र में ही ब्लड प्रेशर के मरीज हो रहे हैं। अभिभावकों पर समाज में बच्चे के बेहतर अंक लेने को लेकर भी दबाव रहता है। अभिभावकों की यह सोच रहती है कि बच्चा तभी आगे अच्छी फील्ड में जा पाएगा, जब उसके अच्छे अंक आएंगे। अभिभावकों पर बच्चों की परीक्षा का प्रेशर हो जाता है। अब तो बच्चे ट्यूशन का प्रेशर भी झेलने लगे हैं। उन्हें खेलने और खाने-पीने के लिए बिलकुल समय नहीं मिल पाता।

पूरी नींद लें

अकसर बच्चे पौष्टिक भोजन न कर तले और जंक फूड ही खाते हैं, लेकिन यह मानसिक संतुलन के लिए भी हानिकारक हैं। परीक्षाओं के दौरान बेशक कम खाएं, लेकिन जो भी खाएं, पोषण से भरपूर होना चाहिए। इसके साथ ही भरपूर नींद लेना भी जरूरी है।

खेलें भी जरूर

डा. रवि शर्मा का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि उन पर परीक्षाओं का ज्यादा बोझ न पड़े। बीच-बीच में वीडियो गेम्ज व मनोरंजन के साधनों की भी मदद ली जा सकती है।