काले होंगे हाथ

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

क्यों हंगामा कर रहा, क्या नवीन कुछ बात,

कोयले की यदि दलाली, काले होंगे हाथ।

काले होंगे हाथ, साथ में साथी भी हैं,

उनसे भी तो पूछ, मुटल्ले हाथी भी हैं।

कौन नहीं खाता यहां, चुपचाप गए डकार,

सिंहासन ने दे दिया, उनको यह अधिकार।

सता रहे क्यों दिन-रात, जुल्म ढहा रहे आप,

दाग लगे दामन सभी, बच जाएंगे साफ।