कुक्के सुब्रमण्या मंदिर

यह मंदिर भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में से एक है। यहां भगवान सुब्रमण्या को सभी नागों के स्वामी के रूप में पूजा जाता है…

कुक्के सुब्रमण्या एक हिंदू मंदिर है। यह भारत के कर्नाटक राज्य के दक्षिण कन्नड़ जिले, मंगलूर के पास सुल्लिया तालुक के  एक छोटे से गांव में अवस्थित है। यह मंदिर भारत के प्राचीन तीर्थ स्थानों में से एक है। यहां भगवान सुब्रमण्या को सभी नागों के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। महाकाव्यों में यह संदर्भ आता है कि गरुड़ द्वारा डरने पर सर्प वासुकी और अन्य सर्प भगवान सुब्रमण्य के तहत सुरक्षा महसूस करते हैं। मंदिर में भगवान के पवित्र दर्शनों से पहले यात्रियों को कुमारधारा नदी पार कर और उसमें पवित्र स्नान करना पड़ता है। भक्त पीछे की तरफ से आंगन में प्रवेश करते हैं और मूर्ति के सामने जाने से पहले उसकी प्रदक्षिणा करते हैं। वहां गर्भगृह और बरामदा प्रवेश द्वार के बीच गरुड़ स्तंभ है, जो चांदी से ढका हुआ है। ऐसा माना जाता है कि स्तंभ में निवास करने वाले वासुकी के सांस से आ रहे जहर आग प्रवाह से भक्तों को बचाने के लिए इसे आभूषण से मढ़ा और ढका गया था। भक्त स्तंभ के चारों ओर खड़े होकर एक वृत्त बनाते हैं। स्तंभ के आगे एक बड़ा सा भवन आता है जो बाहरी भवन होता है और फिर एक अन्य भवन पश्चात भगवान श्री सुब्रमण्या का गर्भगृह है। गर्भगृह के केंद्र में एक आसन है। उच्च मंच पर श्री सुब्रमण्या की मूर्ति स्थापित है और फिर वासुकी की मूर्ति और कुछ ही नीचे शेषा की मूर्ति भी विराजमान है। यहीं नित्य रूप से देव पूजा की जाती है। जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। देवताओं की पूजा प्रतिदिन होती है।

सर्प दोष पूजा- इस मंदिर में सर्प दोष दूर करने हेतु पूजा की जाती है। जिसे सर्प सम्सकारा या सर्प दोष पूजा के नाम से जाना जाता है। मान्यता अनुसार यदि कोई व्यक्ति सर्प दोष से पीडि़त हो या  श्रापित हो तो इन दोषों से मुक्ति के लिए यहां पर कराई गई पूजा से उसे सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त होती है। कर्नाटक और केरल में नाग देवता में पूर्ण आस्था होने के कारण इस पूजा का बहुत महत्त्व होता है।