आस्था

लट्ठमार होली ब्रज क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। होली शुरू होते ही सबसे पहले ब्रज रंगों में डूबता है। यहां भी सबसे ज्यादा मशहूर है बरसाना की ल_मार होली। बरसाना राधा का जन्मस्थान है। मथुरा (उत्तर प्रदेश) के पास बरसाना में होली कुछ दिनों पहले ही शुरू हो जाती है...

आमलक्य एकादशी अथवा आमलकी एकादशी फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में इस तिथि को बड़ा ही पवित्र तथा महत्त्व का बताया गया है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है और उन्हीं के निमित्त इस तिथि पर व्रत, भजन-कीर्तन आदि किया जाता है। आमलक वृक्ष (आंवला), जिसमें हरि एवं लक्ष्मी जी का वास होता है, के नीचे श्रीहरि की पूजा की जाती है। हेमाद्रि व्र

यह पीठ हमीरपुर से 45 किलोमीटर दूर दियोटसिद्ध नामक सुरम्य पहाड़ी पर है। इसका प्रबंध हिमाचल सरकार के अधीन है। हमारे देश में अनेकानेक देवी-देवताओं के अलावा नौ नाथ और चौरासी सिद्ध भी हुए हैं, जो सहस्रों वर्षों तक जीवित रहते हैं और आज भी अपने सूक्ष्म रूप में वे लोक में विचरण करते हैं। भागवत पुराण के छठे स्कंद के सातवें अध्याय में वर्णन आता है कि देवराज इंद्र की सेवा में जहां देवगण और अन्य सहायकगण थे, वहीं सिद्ध भी शामिल थे। नाथों में गुरु गोरखनाथ का नाम आता है। इसी प्रकार 84 सिद्धों में बाबा बालक नाथ जी का नाम आता है। बाबा बालक नाथ जी के बारे में प्रसिद्ध है कि इनका जन्म युगों-युगों में होता रहा है...

हिंदू पंचांग के अनुसार, 20 मार्च यानी आमलकी एकादशी के दिन बाबा श्याम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। ऐसे में प्रसिद्ध बाबा खाटू श्याम का लक्खी मेला 21 मार्च तक आयोजित किया जाएगा। वहीं, बाबा श्याम का मुख्य लक्खी मेला 20 मार्च को होगा। इस बार लक्खी मेला 10 दिवसीय होगा। इस मेले में देशभर से लाखों भक्त पहुंचते हैं। खाटूश्याम जी को श्रीकृष्ण ने वरदान में अपना नाम श्याम दिया था...

अमेठी में स्थित शक्तिपीठ कालिकन धाम की महिमा अपार है। यह धरती च्यवन मुनि की तपोभूमि कही जाती है। मंदिर में अन्य छोटे-छोटे देवालय भी स्थापित हैं। यहां पर एक प्राचीन अमृत कुंड भी है। मान्यता है कि अमृत कुंड में स्नान से...

शिव के हाथों में त्रिशूल, तीनों गुणों सत्व, रजस और तमस का प्रतिनिधित्व करता है। शिव तत्त्व इन तीनों गुणों से परे है। डमरू ‘नाद’ का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार ढोल की ध्वनि आकाश तत्त्व का प्रतीक है। सिर से बहती हुई गंगा, मानव चेतना में संचित विविध ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है...

क्या कभी सोचा है कि इतने मनोवैज्ञानिक, डाक्टर्स इतने इलाज कराने के बाद भी क्यों इनसान को ठीक नहीं कर पा रहे हैं? बीमारी दिन प्रतिदिन दिन बढ़ती जा रही है। इनसान पैसा लगाता है समय देता है, लेकिन बीमारी बिलकुल ठीक होने के बजाय और खराब होती जाती है। आज ये कहानी आपको उस सच्चाई से रू-ब-रू कराएगी, जो आजकल लोगों को समझनी बहुत जरूरी है कि बीमारी की असल जड़ क्या है?

भावना अंत:करण की एक वृत्ति है। संकल्प, चिंतन, मनन आदि इसी के नाम हैं। भावना तीन प्रकार की होती है सात्विक, राजसी और तामसी। आत्मा का कल्याण करने वाली जो ईश्वर विषयक भावना है वह सात्विकी है। सांसारिक विषय भोगों की राजसी एवं अज्ञान से भरी हुई हिंसात्मक भावना तामसी है। संसार के बंधन छुड़ाने वाली होने के कारण सात्विकी भावना के अनुसार इच्छा, इच्छा के अनुसार कर्म, कर्म के अनुसार संस्कार, संस्कारों के अनुसार ही मनष्य के स्वभाव बनते हैं। कर्मों के अनुसार जीवन बनता है। भा

यह सांसारिक जीवन सत्य नहीं है। सत्य तो परमात्मा है, हमारे अंदर बैठी हुई साक्षात ईश्वर स्वरूप आत्मा है, वास्तविक उन्नति तो आत्मिक उन्नति है। इसी उन्नति की ओर हमारी प्रवृत्ति बढ़े, इसी में हमारा सुख-दु:ख हो। यही हमारा लक्ष्य रहा है। अपने हास के इतिहास में भी भारत ने अपनी संस्कृति, अपने धर्म, अपने ऊंचे आदर्शों को प्रथम स्थान दिया है। मनुष्य अच्छी तरह जानता है कि असत्य अच्छा