कृषि हेल्पलाइन

जरुरी है आड़ू, प्लम, खुमानी की काटछांट

आड़ू व नेकटरीन : इनमें फल एक वर्ष पुरानी शाखाओं जो कि 15 से 60 सेंटीमीटर लंबी होती हैं, पर नीचे वाले भाग पर आता है। आड़ू की जिस टहनी पर एक बार फल आ जाए, उस पर फिर फल नहीं आते इसलिए हर वर्ष इसके पेड़ों में पर्याप्त काट-छांट की जाती है। आड़ू की जुलाई एलबटी किस्म में प्रति पौधा सिर्फ 40 फल लगने वाली शाखाएं (600 कलियां) रखें। हर शाखा पर लगभग 15 कलियां ही रखें बाकी का अग्रभाग काट देना चाहिए। ऐसा करने से स्पेशल ग्रेड (तीन लेयर) के फल लगते हैं। लगभग 20 वर्ष बाद भारी काट-छांट से जीर्णोद्धार किया जाता है।

प्लम :  प्लम में काट-छांट सिर्फ सिधाई देने के लिए की जाती है। फलत शुरू होने के बाद सिर्फ रोग ग्रस्त, सूखी व टूटी टहनियों को काटा जाता है। कुछ बड़ी शाखाओं के अग्रभाग को थोड़ा काट दिया जाता है, जिससे बढ़ोतरी ठीक रहे। सेंटारोजा प्लम में शाखाओं का 1/2 से 1/3 अग्रभाग काट दिया जाता है व 25-30 प्रतिशत शाखाएं भी पूर्णतया निकाल दी जाती है। ताकि फल अच्छे प्रकार के लग सकें।

खुमानी :  खुमानी के पेड़ों में फल बीमों पर लगते हैं, जिनकी आयु तीन वर्ष होती है।

इसी कारण से यह आवश्यक है कि सारे पेड़ से लेटरल शाखाएं निकाली जाएं, ताकि नए बीमे बन सकें। न्यूकैसल खुमानी में 25-30 प्रतिशत शाखाओं को निकाल कर शेष शाखाओं का 1/2 से 1/3 अग्रभाग काट दें।

डा. राजेश कलेर, डा जितेंद्र चौहान

सौजन्यः डा. राकेश गुप्ता, छात्र कल्याण अधिकारी, डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय,सोलन