दो राजधानियों वाला हिमाचल चौथा राज्य

शिमला— धर्मशाला को हिमाचल की दूसरी राजधानी घोषित करने के साथ ही प्रदेश देश का ऐसा चौथा राज्य बन गया है, जिसकी दो राजधानियां होंगी। इससे पहले कर्नाटक की बंगलूर और बेलगांव, जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर व जम्मू, जबकि महाराष्ट्र की  भी नागपुर और मुंबई दो राजधानियां बन चुकी हैं। वहां की सरकारें विंटर व समर कैपिटल्स में साल भर काम चलाती हैं। उसी लिहाज से वहां आधारभूत ढांचा भी विकसित हो चुका है। हिमाचल में यदि यह ऐलान कारगर रूप लेता है तो संसदीय क्षेत्र कांगड़ा का प्रभाव और बढे़गा। बौद्ध पर्यटन व चाय के बागानों के लिए मशहूर कांगड़ा घाटी राष्ट्रीय स्तर पर सैलानियों को आकर्षित करने में भी महत्त्वपूर्ण रोल निभाएगी। अधिकारियों व राजनेताओं का दावा यही है कि यहां आधारभूत ढांचा मजबूत है। न पानी की दिक्कत है और न बिजली की किल्लत।  राजधानी के तौर पर धर्मशाला को विकसित करने के लिए फालतू जमीन भी काफी दर में है। लिहाजा कोई परेशानी नहीं होगी कि इसे साकार रूप न दिया जा सके। दरअसल, कांग्रेस का यह मास्टर स्ट्रोक संसदीय क्षेत्र कांगड़ा व उसके साथ लगते जिलों पर आधारित 45 सीटों का वो जमा-जोड़ है, जिन पर कब्जा जमाने के लिए यह बड़ी कवायद हो सकती है। जाहिर तौर पर लोगों के लिए यह बड़ा ऐलान मायने रखेगा। यदि इसी के अनुरूप मार्च तक और भी कार्य होते हैं तो लोगों के जहन में कांग्रेस और भी बस सकती है। कांगड़ा, चंबा, ऊना, हमीरपुर, मंडी, कुल्लू और लाहुल-स्पीति के लिए इसे केंद्रीय स्थल के तौर पर विकसित करने की कवायद है, जहां पूरा सरकारी ताम-झाम दिसंबर से फरवरी महीने तक स्थापित करने की तैयारी है। इन्हीं जिलों की 45 सीटें कांग्रेस को मिशन रिपीट के लिए कारगर दिख रही हैं। अब इसमें पार्टी व सरकार कितनी सफल होगी, यह तो समय बताएगा, इतना जरूर है कि विपक्ष के हाथों जहां एक मुद्दा लग गया है, वहीं कांग्रेस के भीतर विरोधी इसके खिलाफ गुपचुप तरीके से ताना-बाना भी बुन रहे हैं। बहरहाल, प्रदेश सरकार ने इस नए ऐलान से कमोवेश हिमाचल की एक नई रैंकिंग तो राष्ट्रीय पटल पर तय कर ही दी है।