नियति का खिलौना

आपका नेक पुत्र श्री राम, जोकि अत्यंत शक्तिवान हैं और जिसने राजगद्दी का त्याग कर वन की और प्रस्थान कर दिया है,  ऐसा करके उसने अपने उच्च कुल के पिता को सच्चा साबित कर दिया है। वह नेकी के उस रास्ते पर चलने के लिए कटिबद्ध है,जिसे सुसंकृत लोगों नें हमेशा सही माना है और जिस पर चलने से उस लोक में इसका फल मिलता है…

सुमित्रा इस बात को जानती थी कि लक्ष्मण का श्रीराम के प्रति प्यार व स्नेह असीम है, लक्ष्मण श्री राम से अलग हो कर एक क्षण भी नहीं रह सकते। इसलिए भी उसे लक्ष्मण के वन में जाने पर कोई आपत्ति नहीं थी। वो इस बात को भली भांति जानती थी कि चौदह वर्ष का समय बहुत लंबा समय है और अगर लक्ष्मण श्रीराम के साथ जाए तो उनकी रक्षा व सुरक्षा की दृष्टि से यह उचित ही ठहरेगा। इसलिए उर्मिला लक्ष्मण के वन में जाने के प्रस्ताव का तुरंत अनुमोदन कर देती है, लेकिन क्या उस माता के मन में अपने पुत्र से बिछुड़ने का कोई दुःख नहीं है।

 मन ही मन में पुत्र विछोह का दर्द सहते हुए भी मानसिक रूप से सुमित्रा इतनी मजबूत है कि न सिर्फ  अपना दुःख काबू में करती है, बल्कि कौशल्या को भी ढाढस बंधाती है। उसे मालूम है कि ऐसे समय में अगर उस ने कौशल्या को ढाढस नहीं बंधाया तो उसे कौन सहारा देगा। वाल्मीकि रामायण में इसका चित्रण इस तरह से किया गया है।

अयोध्या कांड सर्ग 54,श्लोक 2, 3, 4, 5, 6, 7, 13, 14,25

नेक औरत, आपका पुत्र नेक गुणों से भरपूर है और सभी पुरुषों में महान है। आपके इस तरह से शोकग्रस्त हो कर विलाप करने से क्या हासिल हो पाएगा।

आपका नेक पुत्र श्री राम, जोकि अत्यंत शक्तिवान है और जिसने राजगद्दी का त्याग कर वन की और प्रस्थान कर दिया है,  ऐसा करके उसने अपने उच्च कुल के पिता को सच्चा साबित कर दिया है। वह नेकी के उस रास्ते पर चलने के लिए कटिबद्ध है, जिसे सुसंकृत लोगों नें हमेशा सही माना है और जिस पर चलने से उस लोक में इसका फल मिलता है।  इसलिए इस बात पर किसी तरह का क्षोभ करने की आवश्यकता नहीं है। निष्पाप लक्ष्मण, जो कि सभी जीवों के लिए बहुत सहानुभूति रखता है, सदैव ही श्री राम के सेवा के लिए तत्पर है। इससे महान आत्मा राजकुमार का फायदा ही है। विदेह राज्य के शासक की पुत्री, जोकि समस्त सुखों की हकदार है, तुम्हारे पवित्र हृदय वाले पुत्र के साथ जा रही है, हालांकि उसे यह भली भांति मालूम है कि वन में किस तरह के दुःख हैं। ऐसा कौन सी आशीर्वाद तुम्हारे पुत्र के सिर पर नहीं है, जो कि अत्यंत नेक भी है और जिसने सच्चाई के रास्ते पर चलने की प्रतिज्ञा भी की हुई है और जिसकी प्रसिद्धि का झंडा चारों और लहराता है। यह धरती श्रीराम के आज्ञा की अवहेलना कैसे कर सकती है जिसके नुकीले वाणों से शत्रु आसानी से धराशायी हो जाते हैं। श्रीराम का भव्य व्यक्तित्व और उनका पराक्रम, जोकि उनमें कुदरती तौर पर समाया हुआ है, हर किस्से को यह ही विश्वास दिलाते हैं कि उनका वन का समय जल्द ही समाप्त हो जाएगा और वे अपनी गद्दी संभाल लेंगे। यहां के सभी लोग जो कि श्रीराम से बिछुड़ने के दुःख में डूबे हुए हैं, उन्हें आपकी सांत्वना की आवश्यकता है। हे निष्पाप, आप इस समय अपने हृदय में इतना विषाद क्यों रखे हुए हो। कैकेयी की पहचान एक ऐसी बुरी औरत के रूप में है, जिसने ऐसे मौके पर अपनी कुटिल चाल चली कि जहां चारों और खुशियों और उत्सव का माहौल था, पूर्णतया शोकग्रस्त हो गया। कैकेयी का नाम काम बिगाड़ने वाली का पर्यावाची बन गया है। आज तक किसी माता-पिता ने अपनी बेटी का नाम कैकेयी नहीं रखा है। अगर वाल्मीकि रामायण का अध्ययन करें तो हमें पता चलेगा कि कैकेयी प्रारंभ से ऐसी कुटिल और स्वार्थी नहीं थी जैसा कि हम उस के बारे में सुनते आए हैं।                          –