पारदर्शिता का सवाल

( रूप सिंह नेगी, सोलन )

केंद्र सरकार की कालेधन पर नकेल कसने की मुहिम क्या रंग लाती है, यह फिलहाल समय पर छोड़ते हैं, लेकिन बीएसपी के खाते में 104 करोड़ रुपए जमा होने पर सियासत क्यों गरमा गई है? जब दूसरे दलों के खातों में करोड़ों की राशि जमा होती है, तो फिर उस पर सवाल क्यों नहीं खड़ा किया जा रहा? वैसे तो राजनीतिक दल पारदर्शिता की बात करते रहते हैं, लेकिन उनके अपने खातों में जमा चंदे की पारदर्शिता की बात करें, तो उन्हें सांप क्यों सूंघ जाता है?