पूर्व फौजियों की बेटियों को नौकरी का इंतजार

शिक्षा विभाग में टीजीटी के 115 पदों के लिए नवंबर, 2015 में हुए थे इंटरव्यू

बिलासपुर —  भूतपूर्व सैनिक कोटे के तहत पूर्व सैनिकों की बेटियां पिछले सवा साल से सरकारी नौकरी मिलने की राह ताक रही हैं। हालांकि उच्च न्यायालय की सिंगल बैंच ने पूर्व सैनिक कोटे के तहत इन बेटियों को नौकरी का हकदार माना है, लेकिन राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ न्यायालय में चली गई है। इसके चलते शिक्षा विभाग में टीजीटी के 115 पदों के लिए नवंबर, 2015 में इंटरव्यू होने के बावजूद अभी तक पात्र अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। यहां बता दें कि पूर्व सैनिकों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरी में कोटा तय किया गया है। नियमानुसार इस कोटे का लाभ केवल एक बच्चे को ही मिलता है। इसके तहत भूतपूर्व सैनिक की ओर से बाकायदा एफेडेविट देना पड़ता है कि वह आरक्षण का लाभ अपने बेटे या बेटी में से किसी एक को दे रहा है। बेटियों के मामले में एक शर्त तय की गई है कि यह कोटा केवल अविवाहित बेटी को ही मिलेगा, विवाहित बेटियां इसकी हकदार नहीं होंगी। प्रदेश में कई पूर्व सैनिक ऐसे भी हैं, जिनकी केवल बेटियां ही हैं। ऐसे में जाहिर है कि उनके विवाहित होने की स्थिति में यह लाभ किसी को नहीं मिल पाएगा। कुछ समय पहले हाई कोर्ट की सिंगल बैंच ने मई, 2015 को भूतपूर्व सैनिकों की विवाहित बेटियों के हक में फैसला सुनाया है। इसी आधार पर टीजीटी (मेडिकल) के 115 पदों के लिए नवंबर, 2015 में हुए साक्षात्कार में पूर्व सैनिकों के बेटों के साथ ही उनकी विवाहित बेटियों को भी बुलाया गया था। सरकार ने उक्त फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में एलपीए दायर कर दी है। पता चला है कि साक्षात्कार प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को नियुक्ति भी मिल चुकी है, लेकिन पूर्व सैनिकों के आश्रितों के इंटरव्यू का परिणाम अभी तक नहीं निकाला गया है। उन्होंने सरकार से भूतपूर्व सैनिकों की बेटियों को न्याय प्रदान करने की वकालत की है।