पेंशन बहाल करने वाले को वोट

एनपीएस-सीपीएस कर्मियों का ऐलान, मार्च में संघर्ष को तैयार

शिमला —  एनपीएस, सीपीएस कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि जो भी राजनीतिक दल उनकी पेंशन बहाली का समर्थन करेगा, विधानसभा चुनाव में उसका समर्थन करेंगे। प्रदेश में करीब 70 हजार कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी वर्ष 2003 के बाद पेंशन बंद कर दी गई है। इन कर्मचारियों ने इस मामले में मार्च महीने से संघर्ष छेड़ने का ऐलान भी किया है। प्रदेश एनपीएस/ सीपीएस कर्मचारी महासंघ की आपात बैठक सोमवार को हुई। महासंघ के राज्य मुख्य सलाहकार एलडी चौहान ने कहा कि बैठक महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव गुलेरिया, महासचिव भरत शर्मा, उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार, मुख्य संगठन सचिव श्यामलाल वर्मा, अतिरिक्त सचिव राजेश कश्यप, मुख्य प्रेस सचिव राज महाजन, संयुक्त सचिव बिंदु शर्मा मौजूद रहे। इन कर्मचारी नेताओं ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि 15-05-2003 के उपरांत नियुक्त/नियमित हुए सरकारी कर्मचारियों की जो एक एमओयू के तहत पुरानी व हितकारी पेंशन बंद की गई है व नई एनपीएस नाम से अहितकारी योजना शुरू की गई है। एनपीएस के तहत सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को कोई पेंशन नहीं लग रही है और कुछ मामलों में यदि लग भी पाई है तो किसी को 1500 प्रतिमाह या फिर प्रोफेसर स्तर के कर्मचारी को 5100 रुपए प्रतिमाह मिल रही है। एलडी चौहान ने कहा कि 35 से 40 वर्षों की सेवा के उपरांत भी सरकारी कर्मचारियों को पेंशन न मिलना या 1500 रुपए पेंशन मिलना एक भद्दा मजाक है। यह बात सही है कि केंद्र सरकार द्वारा लागू एमओयू के तहत राज्यों में कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद हुई है, परंतु तीन राज्य ऐसे भी हैं, जो अत्यंत विकासशील हैं और वहां पुरानी पेंशन व्यवस्था ही लागू है। महासंघ ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि केंद्र सरकार द्वारा एनपीएस के सुधार हेतु जो निर्णय लिए गए हैं, शीघ्र ही प्रदेश में भी उन्हें लागू किया जाए।