प्रदूषण से निपटने को हर जन दे सहयोग

( डा. शिल्पा जैन, तेलंगाना (ई-पेपर के मार्फत) )

प्रदूषण किस स्तर पर पहुंच गया है इसका अंदाजा तब लगाया जा सकता है, जब दिल्ली में स्कूल जाते नौनिहाल मास्क लगाए दिखाई देते हैं। देश की राजधानी की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं। आज यह समस्या पूरे देश की समस्या बन गई है। बढ़ता प्रदूषण, घटता जलस्तर और पिघलते ग्लेशियर से सब बाकिफ हैं, पर जिस विषय पर हमें सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए, उसके बारे में हम सिर्फ सोच रहे हैं, कुछ कर नहीं रहे। याद रहे अब सोचने का समय नहीं, कुछ कर दिखाने का समय है। खतरे की घंटी लगातार बज रही है, चेत जाने का समय यही है। अपने स्तर पर प्रदूषण की समस्या से निपटने का संकल्प लें। पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। सबसे पहले पोलिथीन को अपने जीवन से बाहर करने का प्रयास करें, कपड़े, जूट व कागज के थैले बेहतर विकल्प हैं। साथ ही कोशिश करें कि अनावश्यक पानी की बर्बादी न हो। यदि हर व्यक्ति एक बाल्टी पानी बचाए, तो करोड़ों गैलन पानी की बचत होगी। सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करें। आसपास कहीं जाना हो तो पैदल चलें, ताकि सेहत के लिए भी फायदेमंद हो। ‘स्वच्छ भारत’ की तरह ‘हरा-भरा भारत’ अभियान चलाने की जरूरत है। हर गली-मोहल्ला, हर विद्यालय, कालेज अपने स्तर पर पौधारोपण करें और उसकी देखभाल का संकल्प लें। बूंद-बूंद करके ही घड़ा भरता है। हर व्यक्ति अगर एक छोटी सी भी कोशिश करेगा, तो आने वाला भविष्य अवश्य ही सुनहरा होगा।