बजट के बावजूद बिना दाने के दाल

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर )

आज से लगभग चार वर्ष पूर्व कुल बजट का 20 प्रतिशत यानी लगभग एक लाख 20 हजार करोड़  20 लाख भारतीय सेना (जल, थल, वायु) पर खर्च होता था। जो अस्त्र-सस्त्र को छोड़कर बहुत ज्यादा है। अब यह शायद कुल बजट का 20 प्रतिशत या 25 प्रतिशत यानी लगभग एक लाख 75 हजार करोड़  हो गया होगा। फिर 20 लाख में से दो लाख अर्द्ध सैनिक बलों व सीमा सुरक्षा बलों को घटिया खाना क्यों? जैसा तेज बहादुर और जीत कुमार नामक सैनिकों ने पत्रों व बडियों के माध्यम से मोबाइल पर व्हट्सऐप करके बताया है। वह कहते हैं कि बजट कम नहीं, पर अधिकारी वर्ग कुछ होने नहीं देते। दो-दो लाख तक वेतन पाने वाले उच्चाधिकारी सैनिकों की सुविधाओं पर डाका डाल रहे हैं? क्या रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर व गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस बारे कुछ संज्ञान लेंगे ताकि देश की सेना हताश न हो।