भारत का इतिहास

अंतरिम सरकार को अधिकतम स्वतंत्रता

मंत्रि-मिशन ने कांग्रेस द्वारा उठाए गए प्रश्नों का उत्तर दिया अपने 25 मई के वक्तव्य द्वारा, जिसमें कहा गया था कि मिशन योजना एक सुगठित योजना थी और उसे पूरी की पूरी को ही स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता था। वर्गीकरण की योजना अनिवार्य थी और संविधान सभा उससे बाध्य थी। प्रांतों को यह अधिकार नहीं था कि वे चाहें तो निर्दिष्ट समूह में शामिल नहीं हो। संविधान सभा को योजना के भीतर रहकर कार्य करना था, योजना के प्रावधानों में परिवर्तन आपसी सहमति से ही हो सकता था। इन सीमाओं के अतिरिक्त संविधान सभा अपने कार्य में स्वतंत्र थी। ब्रिटिश सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं था कि वह संविधान सभा के कार्य में दखल दे या उसके निर्णयों का आदर न करे। इस सफाई के बाद कांग्रेस ने मंत्रि-मिशन योजना को स्वीकार तो कर लिया किंतु वर्गीकरण के बारे में वह अपनी व्याख्या पर अड़ी रही, जिसके अनुसार वर्गीकरण ऐच्छिक था। दूसरी ओर जिन्ना भी मंत्रि- मिशन से संतुष्ट नहीं थे। मिशन ने पाकिस्तान की मांग को दृढ़तापूर्वक ठुकरा दिया था। 22 मई को शुरू हुई मुस्लिम लीग कौंसिल की बैठक में योजना पर तीन दिन तक विचार हुआ। अंत में यह सोचाा गया कि योजना में जो कुछ दिया गया था, उससे अधिक अब कुछ नहीं मिल सकता था। अतः लीग ने भी योजना को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया किंतु इस स्वीकृति के पीछे कितनी सचाई थी, यह लीग कौंसिल के 6 जून के प्रस्ताव से साफ हुआ।

अंतरिम सरकार  

इस प्रकार कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों के द्वारा मिशन योजना के स्वीकार कर लिए जाने के बाद वायसराय ने भारतीय नेताओं से अंतरिम सरकार के निर्माण के बारे में पत्र व्यवहार शुरू किया। कांग्रेस चाहती थी कि अंतरिम सरकार केंद्रीय विधानसभा के प्रति उत्तरदायी मंत्रिमंडल के रूप में कार्य करे और गवर्नर-जनरल की स्थिति अन्य डोमीनियनों की तरह सांविधानिक प्रधान की हो। वायसराय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए आश्वासन दिया कि ब्रिटिश सरकार भारत की अंतरिम सरकार को दिन-प्रतिदिन के प्रशासन में अधिकतम स्वतंत्रता देना चाहती है। एक और प्रश्न था अंतरिम सरकार में विभिन्न दलों के प्रतिनिधित्व का। मुस्लिम लीग चाहती थी कि अंतरिम सरकार में कांग्रेस और लीग के बराबर सदस्य हों तथा कांग्रेस को किसी मुस्लिम सदस्य को मनोनीत करने का अधिकार न हो। वायसराय ने सुझाव दिया कि अंतरित सरकार में 12 सदस्य हों, 5 कांग्रेस द्वारा मनोनीत हिंदू, 5 लीग द्वारा मनोनीत मुसलमान, एक आंग्ल भारतीय और एक भारतीय ईसाई।