सयौं धयाडे बड़े बांके धयाडे
सयौं अनमोल धयाडे
सहेलीयां रा मेला होर हर मन मस्त मौला
चौहटे री रौनका किहां भूलडी सयौं रौनका
सांझके सयौं चौहटे रे फेरे,
सडका नापी नापी एगपा मारी मारी
खसत्म नी हुदा था गला रा पिटारा
भुतनाथा री गली रोज हुवाइ थी लगीरी दयाडी
कपड़े री दुकाना सजीरी हुवाई थी
नवी नवेली दुल्हना सॉही
चलडे री जगा थोड़ी एतंग तंग से गली
तेसा गली रा आपणां हे हा नजारा
याद आवां सरदीयां रा धूपा होर
तवारा रा धयाडा
एक हाथा अखबार होर
एक हाथा गरम चाही रा प्याला
कृपे रामा रे गुडचापडा री ताजी खुशबू होर
छाछे री धुपडी रा तुडका
हले भी मुहा ले जांदा नी सये सवाद
कुछ खटा कुछ मीठा,
बड़ा बांका प्यारा-प्यारा
ना था तीनहा धयाडे रा मोल एना हा तेहडा नजारा
क्या मज़े री थी जि़ंदगी, समय बहुत न्यारा
याद आवाए सयौं धयाडे जेभे जेभे एबही
जाहा हाखीयां ले मोतीयां रा नाला
— ज्योति साहनी
(अमरीका से ई-मेल के मार्फत)