लाइलाज बीमारी से पीडि़त मरीजों का सहारा प्रदेश का एकमात्र टांडा का पैलेटिव केयर सेंटर
फिर सांत्वना देने जाते हैं घर
पैलेटिव केयर सेंटर का स्टाफ सिर्फ जीते जी ही रोगी के घर से वास्ता नहीं रखता, बल्कि अनहोनी होने पर दस दिन के बाद परिजनों को सांत्वना देने जाता है। सेंटर स्टाफ की मानें तो कई बार दूरदराज इलाकों तक भी उनके साथ जाने में मदद करते हैं।
केरल के त्रिवेंद्रम में ट्रेनिंग
पैलेटिव केयर सेंटर में तैनात स्टाफ नर्स रजनी बताती हैं कि उन्हें इस काम की ट्रेनिंग केरल स्थित त्रिवेंद्रम में दी जाती है। यहां 45 दिन के कोर्स में वे सब बातें सिखाई जाती हैं, जो ऐसे मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकें।
मरीजों को घर घर जाकर भी देते हैं उपचार
सेंटर में डा. प्रवीण के अलावा सात लोगों का स्टाफ है। इनमें स्टाफ नर्स, मेडिकल सोशल वर्कर और फार्मासिस्ट शामिल हैं। यह स्टाफ न केवल यहां आने वाले मरीजों का उपचार करता है, बल्कि ऐसे लोग जो अस्पताल तक पहुंच नहीं पाते उनका घरद्वार पर जाकर इलाज करता है। कई बार स्टाफ को दूरदराज इलाकों में पैदल पहुंचकर रोगी के घर तक पहुंचना पड़ता है।