लाखों में पड़ रहा 8000 का स्टेंट

नीदरलैंड ने पायलट स्मार्ट प्रोजेक्ट में हिमाचली शहर को दी तरजीह

नई दिल्ली  —  दिल के मरीजों की जान बचाने वाले स्टेंट को लागत से 900 फीसदी के मार्जिन पर बेचा जा रहा है। उत्पादन के बाद वितरक, फिर वितरक से अस्पताल और फिर अस्पताल से मरीज तक पहुंचते-पहुंचते स्टेंट की कीमत करीब 900 फीसदी तक बढ़ जाती है। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइजिंग अथारिटी ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेंट की खरीदारी में सबसे ज्यादा मार्जिन अस्पतालों का होता है, जो कि 650 फीसदी तक है। स्थानीय कंपनी द्वारा एक ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट बनाने में करीब 8000 रुपए की लागत आती है, जो कि भारत में इस्तेमाल होने वाले स्टेंट का 95 फीसदी है। उत्पादकों का मार्जिन तुलनात्मक रूप से कम है, वहीं वितरक 13 फीसदी से 200 फीसदी तक का मार्जिन रखते हैं। सबसे अधिक कीमत अस्पताल रखते हैं। उनका मार्जिन 11 से 654 फीसदी तक होता है। इसे संयोग ही कहेंगे कि स्टेंट कंपनियों समेत अस्पताल और कार्डियोलॉजिस्ट्स ही स्टेंट के लिए कीमत नियत करने की बात कर रहे थे। ये डाटा स्टेंट कंपनियों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के आधार पर तैयार किए गए हैं। एनपीपीए इसके हर लेवल पर होने वाले मार्जिन पर काम कर रही थी और रिपोर्ट वाकई चौंकाने वाली है। आंकड़ों से पता चलता है कि कीमत में सबसे ज्यादा अंतर अस्पतालों में ही है। हालांकि इसमें सारे अस्पतालों को शामिल नहीं किया जा सकता।