श्री बृजराज स्वामी मंदिर

नूरपुर उपमंडल के प्राचीन किले में स्थित श्री बृजराज स्वामी मंदिर। यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां श्रीकृष्ण के साथ राधा नहीं, बल्कि मीरा है। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति के साथ अष्टधातु से बनी मीरा की प्रतिमा है, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कहते हैं कि श्री बृजराज स्वामी मंदिर का इतिहास 16वीं सदी से जुड़ा माना जाता है। रजवाड़ाशही में यह मंदिर दरबार ए खास हुआ करता था तथा सन् 1619 से 1923 ई. के मध्य राजा जगत सिंह अपने पुरोहित के साथ चित्तौड़गढ़ राजा के आमंत्रण पर गए। राजा तथा पुरोहित के रात्रि विश्राम के लिए जो कक्ष उन्हें दिया गया, उसकी बगल में एक मंदिर था। जब मध्यरात्रि का समय हुआ तो उस मंदिर के प्रांगण में राजा को घुंघरुओं की आवाज सुनाई दी, राजा ने बाहर जाकर देखा, तो एक औरत श्रीकृष्ण की प्रतिमा के समक्ष भजन गाकर नृत्य कर रही थी। राजा ने तुरंत इस की सूचना अपने राज पुरोहित को दी। राज पुरोहित ने राजा को सलाह दी कि जब यहां से प्रस्थान करें तो मेजबान राजा से उपहार स्वरूप इन प्रतिमाओं को मांग लेना। राजा जगत सिंह ने ऐसे ही किया तथा प्रस्थान के समय दोनों प्रतिमाएं उपहार स्वरूप मांग लीं। चित्तोडगढ़ के राजा से सम्मान पूर्वक यह प्रतिमाएं और एक मौलश्री का वृक्ष उपहार के रूप में लाकर बृजराज मंदिर में स्थापित करवाया जो राजस्थानी शैली की काले संगमरमर की कृष्ण मूर्ति आज भी जीती जागती मिसाल है।