सरस्वती आराधना मंत्र

पंचमी की विधिवत शुरुआत वसंत पंचमी से मानी जाती है। यह ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती की आराधना का पर्व भी है। इस दिन मां सरस्वती की उपासना बहुत फलदायी होती है, इसी कारण विद्यालयों और विद्यार्थियों के बीच इस तिथि को लेकर बहुत उत्साह रहता है। इस दिन विविध मंत्रों से सरस्वती वंदना की जाती है। मां सरस्वती की आराधना के लिए सुबह स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर सरस्वती मंत्रों में से किए एक का जाप आरंभ करना चाहिए। अपने सामने मां सरस्वती का यंत्र या चित्र स्थापित करें। अब चित्र या यंत्र के ऊपर श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प व अक्षत  भेंट करें और धूप-दीप जलाकर देवी की पूजा करें और स्फटिक की माला से किसी भी सरस्वती मंत्र की शांत मन से माला फेरें। सरस्वती आराधना के कुछ प्रमुख मंत्र निम्नवत हैं-

सरस्वती मंत्र –

या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वस्त्रावृता। 

 या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मासना।।

या ब्रह्माच्युत्त शंकरः प्रभृतिर्भि देवै सदा वंदिता।

सा माम पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा ॥ 1॥

(जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुंद के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा, दंड के रूप में शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।)

तंत्रोक्तं देवी सूक्त से सरस्वती वंदना-

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

विद्या प्राप्ति के लिए सरस्वती मंत्रः

घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्र धनुः

सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं घनातविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्।

गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुभजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्॥

(जो अपने हस्तकमल में घंटा, त्रिशूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण को धारण करने वाली, उज्ज्वल देह से उत्पन्न, त्रिनेत्रा, मेघास्थित चंद्रमा के समान कांति वाली, संसार की आधारभूता, शुंभादि दैत्यों का नाश करने वाली महासरस्वती को हम नमस्कार करते हैं।)

गायत्री मंत्र में निर्मल बुद्धि की कामना की गई है। इसलिए वसंत पंचमी के दिन इस मंत्र का भी जाप किया जाता है। मंत्र इस प्रकार है-

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नःप्रचोदयात्।

परीक्षा का दबाव ऐसा होता है कि बहुत सारे विद्यार्थियों में भय समा जाता है। ऐसे विद्यार्थी बौद्धिक रूप से समर्थ होते हुए भी भावनात्मक बाधा के कारण अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। इस तरह के विद्यार्थियों को निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए- ॐ ऐं हृं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।