सैल्फी रोग

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

मन पर हावी हो गया, अब सेल्फी का रोग,

यह संक्रामक है बड़ा, बना मानसिक रोग।

चार दिनों की जिंदगी, खाएं-पीएं रहें मस्त,

सैल्फी उड़ती ट्रेन से लेकर, होते हो क्यों पस्त।

छोड़े भी नहीं छूटता, यह सैल्फी का क्रेज,

चलते हम तो धार पर, बेशक खंजर तेज।

पाला जिस परिवार ने, उनका भी कर ध्यान,

जीते जी मारा उन्हें, निकली तेरी जान।