स्वरोजगार का है उत्तम विकल्प

गुरचरण सिंह निदेशक मत्स्य पालन विभाग, हिमाचल प्रदेश

मत्स्य पालन में करियर संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने गुरचरण सिंह से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

मत्स्य पालन मंे करियर का क्या स्कोप है?

मत्स्य पालन में मत्स्य पालक के रूप में करियर, स्वरोजगार की दृष्टि से काफी अच्छा बन सकता है। मत्स्य पालन में कृषि से अधिक आय अर्जित की जा सकती है।

इसे करियर के तौर पर अपनाने के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या होती है?

मत्स्य पालन करने के लिए ऊंचे स्तर की शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है। मैट्रिक अथवा जमा दो पास अभ्यर्थी भी मत्स्य पालन के बारे में जानकारी अच्छे ढंग से ग्रहण कर इसे करियर के रूप मंे भी अपना सकते हैं।

क्या मत्स्य पालन में कोई विशेषज्ञ कोर्स किए जा सकते हैं?

जी हां। मत्स्य पालन को वैज्ञानिक ढंग से अपनाने के लिए स्नातक मात्स्यिकी एवं स्नातकोत्तर मास्त्यिकी की योग्यताएं करने हेतु राष्ट्रीय मात्स्यिकी संस्थानों से संपर्क किया जा सकता है।

हिमाचल में इस संबंधी पाठ्यक्रम कहां चलता है?

वर्तमान में हिमाचल में इस संबधी पाठ्यक्रम कहीं नहीं है। शायद चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में इस संबंधी पाठ्यक्रम चलाने की कवायाद आरंभ की जा रही है।

मत्स्य पालन में रोजगार की संभावनाएं हिमाचली संदर्भ में कितनी हैं?

प्रदेश में 12000 से अधिक परिवार मत्स्य पालन व मत्स्य दोहन के व्यवसाय से जुड़े हैं। ट्राउट मछली का पालन व कॉर्प मछली का तालाबों में पालन करने का प्रचलन काफी बढ़ रहा है, जिससे कृषकों की आय भी काफी वृद्धि हो रही है। बेरोजगार युवाआंे के लिए यह व्यवसाय रोजगार का एक उत्तम विकल्प बन सकता है।

मत्स्य पालन मंे आमदनी कितनी होती है?

यह तालाब के आकार पर निर्भर करता है। ट्राउट पालन केंद्र के 15 मीटर बाई 2 मीटर तक के यूनिट में एक लाख रुपए शुद्ध आय प्राप्त की जा सकती है। आय इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप ने किस प्रजाति की मछली का पालन किया है।

इस करियर में युवाओं के लिए चुनौतियां क्या हैं?

प्रदेश की भौगोलिक स्थिति के मद्देनजर ज्यादा मैदानी क्षेत्र तालाबों के निर्माण के लिए उपलब्ध नहीं है। फिर चिकनी मिट्टी तालाब निर्माण हेतु व पानी की व्यवस्था भी एक चुनौती है। ट्राउट पालन के लिए बनाए गए ट्राउट यूनिट कई बार बरसात के दिनों बाढ़ इत्यादि के प्रकोप का शिकार बनते हैं। इसलिए अभी लाइव स्टॉक के बीमे की योजना स्वीकृत नहीं हो पाई है, जिसके लिए विभाग प्रयासरत है।

जो युवा इस करियर में पदार्पण करना चाहते हैं, उनके लिए कोई प्रेरणा संदेश दंे?

मत्स्य पालन की समस्त योजनाओं को नील क्रांति योजना के अंतर्गत लाया गया है। इसमें 80 प्रतिशत अनुदान राशि का प्रावधान है। मैं प्रदेश के युवाओं से आह्वान करता हूं कि ट्राउट मछली पालन व तालाबों में कॉर्प मछली पालन को आरंभ कर अपनी आय वृद्धि करें तथा स्वरोजगार के अवसर जुटाएं।

— अश्वनी पंडित, बिलासपुर