चुनाव आते ही आई कर्मियों की याद

सरकार पर बरसे अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राज्य महामंत्री

मंडी —  कांग्रेस सरकार सिर्फ प्रदेश के कर्मचारियों और मजदूरों की भावनाओं से खिलवाड़ करना जानती है। कांग्रेस सरकार ने पिछले पांच साल में एक भी काम कर्मचारियों, मजदूरों और पेंशनरों के हक में नहीं किया। यह बात हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के राज्य महामंत्री एनआर ठाकुर ने कांग्रेस सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कही है। उन्होंने कहा कि चुनावी वर्ष में झूठी घोषणाएं कर एक बार फिर सरकार कर्मचारियों को झूठे सब्जबाग दिखाकर वोट बैंक की राजनीति करना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कर्मचारी बुद्धिजीवी हैं और वे भलीभांति जानते हैं कि उनके हित किस सरकार में सुरक्षित हैं। आउटसोर्स कर्मचारियों को अनुबंध में लाने की नीति की बात कांग्रेस सरकार की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। अगर सरकार कर्मचारी हितैषी होती तो आउटसोर्स कर्मचारियों के बारे में पिछले चार साल में क्यों नहीं सोचा। सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में आठ संयुक्त सलाहकार समिति की बैठकों के बजाय केवल दो बैठकें ही आयोजित की गईं और वे भी बेनतीजा रहीं। 4-9-14 वेतन वृद्धि देने का वादा 2006 में किया गया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने 2006 से लाभ देना तो दूर, पहले से दी जा रही वेतन वृद्धियों को भी रोकने की कोशिश की। कई अधिकारियों और कर्मचारियों को सेवा विस्तार दिया जा रहा है, लेकिन प्रदेश के कर्मचारियों को 60 वर्ष बाद सेवानिवृत्ति देने के वादे से सरकार मुकर गई। कर्मचारी कल्याण बोर्ड का गठन कर्मचारी कल्याण के लिए पूर्व सरकार ने किया था, लेकिन कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान कर्मचारी कल्याण बोर्ड सफेद हाथी साबित हुआ। यह बोर्ड एक भी योजना कर्मचारी कल्याण के लिए लागू नहीं करवा सका। अनुबंध कर्मचारियों का सेवाकाल पांच से तीन वर्ष करने की मांग सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दी है।